Tuesday, December 20, 2011

हिन्‍दू महासभा का राष्‍ट्रपति के नाम खुला पत्र

महामहिम,
श्रीमती प्रतिभा सिंह देवी पाटिल,
भारत सरकार
राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली
विषय : पाकिस्तानी हिन्दुओं के मानवाधिकार हनन, उत्पीड़न, यौन शोषण, धर्मान्तरण के सन्दर्भ में
महोदय,
सविनय निवेदन है कि १५ अगस्त १९४७ को हिन्दुस्थान का विभाजन कांग्रेस, मुस्लिम लीग और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के कारण हुआl हिन्दू महासभा ने उस समय भी विभाजन का मुखर विरोध किया था, कांग्रेस कार्य समिति में कांग्रेस ने भी स्वीकार किया था कि विभाजन अल्पकाल के लिए हो रहा है और पुनः भारत अखंड होगा l
१९४६ में भी कांग्रेस ने अखंड हिन्दुस्थान के लिए वोट माँगा था, फिर भी राष्ट्र के विभाजन का पाप किया
हिन्दुस्थान के विभाजन का उस समय हिन्दू महासभा द्वारा जो विरोध किया गया और जो अनुमान लगाये गए वो आज पुर्णतः सत्यापित हो रहे हैं, विभाजन के समय जो जघन्यता और क्रूरता इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा हिन्दुओं के प्रति दिखाई गयी दिखाई गयी थी वो आज भी निरंतर गतिशील है l
डाक्टर बाबा साहेब भीमराव रामजी अम्बेडकर द्वारा सुझाए गये मार्ग को उस समय कि सरकार ने अपने स्वार्थों को सिद्ध करने और सत्ता-लोलुभता के चलते त्याग दिया था, मैं विस्तृत विवरण में नहीं जानता चाहता क्योंकि आप विदूषी आदरणीय महिला हैं और भारत कि प्रथम नागरिक हैं.... अतः सम्पूर्ण विषय आपके संज्ञान में है l १५ अगस्त १९४७ के पहले ये सभी भारतीय थे l हमारी कूटनीतिक विफलता के कारण आज ये भारतीय नही हैं l कांग्रेस ने अपनी कार्य-समिति में निर्णय लिया था, उस निर्णय के तहत इन हिन्दुओं के मानवाधिकारों का रक्षण करने का दायित्व आपका है l
आसिन्धु-सिन्धु पर्यन्ता यस्य भारत भूमिका। पितृ भू: पुन्यभूशचैव स वै हिन्दुरिति स्मृत:।।
अर्थात सिन्धु के उदगम स्थान से समुद्र पर्यन्त जो भारत भूमि है उसे जो पितृ-भूमि तथा पुण्य-भूमि मानता है, वह हिन्दू कहलाता है।इस प्रकार कि समस्या युगांडा के तानाशाह ईदी अमीन द्वारा उपस्थित कर दी गयी थी, और हिन्दुओं को राष्ट्र से निष्कासित कर दिया गया था l
उस समय हिन्दुस्थान कि प्रधान मंत्री माननीय श्रीमती इंदिरा गाँधी थीं, हमारे तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य बालाराव सावरकर जी थे, उन्होंने श्रीमती गांधी को तार एवं पत्र के माध्यम से आग्रह किया कि इनकी मात्रभूमि नहीं है किन्तु इनकी पितृभूमि है अतः माननीय दृष्टिकोण के तहत इनको हिन्दुस्थान कि नागरिकता दी जाए, जिसको श्रीमती गांधी ने अपने तत्काल प्रभाव से ५०००० युगांडा के हिन्दुओं को हिन्दुस्थान कि नागरिकता दी, जो भारत के इतिहास में एक एतिहासिक तथ्य है l
श्रीमती गांधी का यह एतिहासिक निर्णय वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धांत को स्वीकार करता है यही भारतीय सिद्धांत है l जिस प्रकार भेड़िये के द्वारा अपने शिकार को घेर कर मारा जाता है उसी प्रकार से इस्लामिक साम्राज्यवादी जिहादी मुसलमानों के द्वारा हिन्दुओं पर बर्बर अत्याचार हो रहा है जो कि आपके संज्ञान में है l
वसुधैव कुटुम्बकम और अतिथि देवो भव: ये हमारे प्राचीन भारतीय सिद्धांत हैं और इसकी आप मूर्तिमान स्वरूप हैं l ८ सितम्बर २०११ को पकिस्तान से ११९ हिन्दुओं ने तीर्थयात्रा वीजा के बहाने प्राण रक्षा हेतु पुण्यभूमि - पित्रभूमि भारत में आगमन किया l इनमे से अधिकतर हिन्दुओं को धर्मांतरण हेतु भयंकर रूप से प्रताड़ित किया गया है, ये आजीवन उपेक्षा एवं उत्पीड़न के शिकार रहे हैं l पाकिस्तान में सम्पूर्ण हिन्दू समाज को शिक्षा, चिकित्सा, सुरक्षा तथा मानवाधिकारों से वंचित रखा गया है l हिन्दू बच्चों को शिक्षा के समय धर्मांतरण के लिए भयंकर प्रताड़ित किया जाता है और अमानवीय शारीरिक यातनाएं दी जाती हैं l
कुछ बच्चों के मोलवीयों द्वारा हुई पिटाई के कारण कान के पर्दे तक फट चुके हैं l
कुछ स्त्रियों के स्तन आदि कटे हुए हैं l इनमे से कई लोगों को जबरदस्ती हैपेटाईटिस - बी का इंजेक्शन लगा कर आजीवन रोगग्रस्त बना दिया गया है, इसके पीछे का उद्देश्य हिन्दुओं का वंश नाश है l विगत दिनों चार हिन्दू चिकित्सकों कि जघन्य हत्या इस्लामी कट्टरपंथियों ने सिंध प्रांत में की गई l कराची के चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने गत दिनों एक जन समारोह में यह स्वीकार किया है कि कराची महानगर के अन्दर प्रति दिन 100 से अधिक बलात्कार हिन्दू नारियों के किये जाते हैं, और अधिकतर को धर्मान्तरित कर दिया जाता है तथा प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं कि जाती l
माननीय आप एक मातृ शक्ति हैं, पुर्णतः आशा एवं विश्वास के साथ नम्र प्रार्थना एवं अनुरोध है कि पाकिस्तान से आये हुए असहाय, उत्पीड़ित और प्रताड़ित हिन्दू नागरिकों को केवल एकमात्र आपके द्वारा न्याय एवं सहयोग कि आशा में यह प्रार्थना पत्र आपको बहुत पीड़ा के साथ प्रस्तुत कर रहा हूँ, कि इनके वीजा कि अवधी को को विस्तार देकर इनको पित्रभूमि भारत में रहने हेतु नागरिकता प्रदान करने कि प्रक्रिया आरम्भ कि जाए l साथ ही आपसे नम्र अनुरोध करता हूँ कि पाकिस्तान में रह रहे 38 लाख हिन्दुओं कि शिक्षा, चिकित्सा, सुरक्षा एवं मानवाधिकारों के लिए पकिस्तान सरकार पर दबाव बनाया जाये l
यह सभी विषय विभिन्न समाचार पत्रों एवं इलेक्ट्रोनिक माध्यमो द्वारा ज्ञात हुआ है l
पंडित बाबा नंद किशोर मिश्र
(वरिष्‍ठ नेता, अखिल भारत हिन्‍दू महासभा)

Saturday, December 17, 2011

पाकिस्तानी हिन्दुओं पर टूटा यूपी पुलिस का कहर

गत माह पाकिस्तान से आये हुये कुल 151 हिन्दुओं को दिल्ली पुलिस को सूचना देकर गाजियाबाद के एक मंदिर में ले जाकर पुर्नस्थापित किया जा रहा था। इसके लिये उ0प्र0 के पुलिस को पहले से ही सूचित भी कर दिया गया था। मगर अर्धरात्रि में मायावती के मुगलिया फरमान पर यू0पी0 पुलिस ने उन पिछड़े, दलित हिन्दुओं पर जो अति बर्बर, अति जघन्यतम कार्रवायी की उसकी जितनी भी निंदा की जाये कम है। इतना ही नही आधी रात को पुलिस उन सब पर निर्दयतापूर्वक टूट पड़ी, उनके सारे मोबाइल फोन आदि छीन लिये और उन्हें एक गाड़ी में भरकर अक्षरधाम नेशनल हाइवे पर कड़कड़ाती सर्दी में छोड़कर चले गये। इन पुलिस अधिकारियों को उनके महिलाओं और छोटे-छोटे बच्चों पर जरा भी दया नही आयी कि ये खुले आसमान में कैसे रात गुजारेंगे।

ज्ञात रहे कि ये वही पाकिस्तानी हिन्दू थे जो पिछले कयी महीने से दिल्ली के मजनूटीले पर शरण लिये हुये थे। ये पाकिस्तान से वीसा पर हिन्दू तीर्थस्थलों पर भ्रमण के लिये आये हुये थे और पाकिस्तान नही जाना चाहते थे। क्योंकि पाकिस्तान में इस्लामी मुस्लिम गुण्डे आये दिन इनसे जजिया कर मांगा करते थे, इनके मां-बहन और बेटियों के अस्मत से भी खिलवाड़ करते थे। इनके कयी रिश्तेदारों को तालिबानी गुण्डों ने बेरहमी से कत्ल कर दिया था।

अर्ध रात्रि में इन पाकिस्तानी हिन्दुओं के साथ अमानवीय कार्रवायी पर अखिल भारत हिन्दू महासभा के वरिष्ठ नेता डॉ0 संतोष राय ने उ0प्र0 सरकार के गृहसचिव कुंवर फतेह बहादुर सिंह से बातचीत की तो उन्होंने आधे घंटे का समय मांगा और मदद का आश्वासन दिया। मगर कुछ समय बाद उन्होंने पाकिस्तानी हिन्दुओं के प्रति अपनी संवेदना जताते हुये कहा कि हमें मैडम माया ने डांटा कि विधानसभा का चुनाव है, हम इस वक्त कुछ भी मदद नही कर सकते, हम इनकी चाहकर भी मदद न करने पर मजबूर हैं।
ये पाकिस्तानी हिन्दू पाकिस्तान से लूटपिट कर, वहां के बर्बर अत्याचर से मुक्ति की आस से यहां आये थे कि उनकी मातृभूमि भारत में उन्हें शरण मिलेगी मगर इनके साथ मैडम मायावती ने जो अमानवीय, जघन्यतम व्यवहार कराया वो कभी नही भूलाया जा सकता। ज्ञात रहे कि ये पाकिस्तानी हिन्दू दलित और पिछड़े समुदाय से हैं। हिन्दू महासभा ने इस घटना की तीव्र भत्र्सना करते हुये कहा कि मायावती दलितों और पिछड़ों की घोर विरोधी है। गाजियाबाद के एसपी सिटी ने भी कहा कि इन पाकिस्तानी हिन्दुओं की मदद तो हम भी करना चाहते हैं मगर मुख्यमंत्री मायावती के आदेश के आगे हम कुछ नही कर सकते। यही नही गाजियाबाद पुलिस ने हिन्दू महासभा के नेताओं को धमकाते हुये कहा कि यदि इन हिन्दुओं को यहां से भगाने में आपसब लोगों ने व्यवधान डाला तो आप सबके उपर मुकदमा चलाया जायेगा।

एक उच्चाधिकारी ने अपना नाम छिपाते हुये कहा कि यदि ये मुस्लिम मजहब के होते तो माया हो या मुलायम या मैडम सोनिया सबके आंखों के ये तारे हो जाते। इन्हें यहां बसाया भी जाता और यहां की नागरिकता भी प्रदान की जाती जैसे कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बांग्लादेशी मुसलमानों के साथ किया था।

Monday, December 12, 2011

Attack on parliament.............


काला अध्याय था संसद पर हमला
* तत्कालीन सहायक निदेशक (सुरक्षा) के अनुसार हमले के दौरान कई सांसद व अफसर गए थे सहम

आज से ठीक दस साल पहले दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के मंदिर पर हुआ हमला आजाद भारत के इतिहास का सबसे काला अध्याय है। यह कहना है 13 दिसंबर 2001 को लोकसभा में सहायक निदेशक (सुरक्षा) रण सिंह देसवाल का। आज समाज से खास बातचीत में देसवाल ने बताया कि आतंकी हमले के दौरान संसद भवन में मौजूद अनेक सांसद, मंत्री व उच्चाधिकारी सहमे हुए थे, मगर बावजूद इसके किसी ने हिम्मत नहीं हारी।
यहां बता दें कि देसवाल मूल रूप से बहादुरगढ़ के गांव खेड़ी जसोर के रहने वाले हैं और फिलहाल बहादुरगढ़ के सेक्टर-6 में निवास कर रहे हैं। देसवाल को देशभक्ति का जज्बा विरासत में मिला है। उनके पिता चौ. देवी सिंह व दादा चौ. रिसाल सिंह स्वतंत्रता सेनानी के रूप में देश की सेवा कर चुके हैं। आसोदा से प्राथमिक शिक्षा लेने के बाद सोनीपत व रोहतक से उच्च स्तरीय शिक्षा प्राप्त करने के बाद देसवाल 12 नवंबर 1978 तक आर्मी मेडिकल कौर में रहे। 27 अगस्त 1979 को उन्होंने लोकसभा में सुरक्षा सहायक के तौर पर नियुक्ति प्राप्त की और 18 अक्तूबर 1998 को उप निदेशक सुरक्षा के पद पर पदोन्नत हुए। 13 नवंबर 2001 को सुबह साढ़े 11 बजे के वाक्या को याद करते हुए देसवाल ने बताया कि उस समय वह सदन के भीतरी क्षेत्र के सुरक्षा प्रभारी थे। उन्हें प्रधानमंत्री को राज्यसभा तक ले जाना था, मगर हो-हल्ला होने के बाद लोकसभा व राज्यसभा की कार्रवाई स्थगित कर दी गई थी। इसी लिए जब हमला हुआ तो उस समय वह केंद्रीय कक्ष में सांसदों के साथ मौजूद थे। जब पहली बार गोली की आवाज आई तो उन्होंने सोचा कि किसी गाड़ी का टायर फटा होगा मगर जब दोबारा गोलीबारी सुनाई दी तो उन्हें आशंका हुई कि मामला गड़बड़ है। उन्होंने गेट पर संपर्क साधा और आतंकी हमले की सूचना मिलते ही संसद के सभी भीतरी दरवाजे बंद करवा दिए। इस बीच उन्होंने तत्कालीन गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी व संसदीय कार्य मंत्री प्रमोद महाजन से वाकीटाकी पर संपर्क स्थापित किया और तमाम अति महत्वपूर्ण व्यक्तियों को विशेष सुरक्षा घेरे में सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया। पूरे घटनाक्रम को याद करते हुए देसवाल ने बताया कि आतंकियों का सबसे पहले विरोध तत्कालीन उप राष्टÑपति कृष्णकांत के सुरक्षाकर्मियों ने किया। सुबह 11 बजकर 40 मिनट पर हुए इस हमले से उभरते हुए मात्र बीस मिनट में सुरक्षाकर्मियों ने पांचों आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया। वारदात के तुरंत बाद तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस व पेट्रोलियम मंत्री रामनाइक ने देसवाल को साथ लेकर शवों का निरीक्षण किया।
नहीं तो होती ज्यादा क्षति
देसवाल ने बताया कि गेट नंबर 8 पर तैनात सीआरपीएफ के सिख जवान के सामने से एक आतंकवादी शरीर पर विस्पोटक पदार्थ बांधे संसद में भीतर घुसने का प्रयास कर रहा था तो उस जवान ने अपनी जान की बाजी लगाते हुए आतंकी पर हमला बोल दिया, जिसमें उसे गोली भी लगी। मगर बुलटप्रूफ जाकेट के चलते जवान बच गया और उसने आत्मघाती आतंकी को वहीं ढेर कर दिया।
हमले में शहीद होने वाले
सुरक्षा सहायक जगदीश प्रसाद यादव निवासी नीम का थाना राजस्थान, मतबार नेगी निवासी नई दिल्ली, कमलेश कुमारी सिपाही सीआरपीएफ निवासी कन्नोज यूपी, एएसआई नानकचंद निवासी सोनीपत हरियाणा, रामफल निवासी फरीदाबाद हरियाणा, हवलदार घनश्याम निवासी मथुरा, ओमप्रकाश निवासी नरेला, बिजेंद्र निवासी बदरपुर व माली देसराज निवासी गाजियाबाद इस हमले में शहीद हुए थे।
हमले में घायल होने वाले
इस हमले में एसआई पुरुषोत्तम, एएसआई जीतराम, हवलदार सुमेर सिंह, कमल सिंह, सिपाही रजत वशिष्ट, अस्सिटेंट कमाडेंट आनंद झा, सिपाही राकेश, महिपाल, हंसराज, एआईजी एनएमएस नायर, सीआरपीएफ का हवलदार वाईबी थापा, सिपाही सुखविंदर, एआर चियारी के अलावा आम नागरिक संजीव, पुरुषोत्तम पांडे व विक्रम भी इस हमले में घायल हुए थे।
प्रशस्ति पत्र मिला, पैसा नहीं
लोकसभा में उपनिदेशक (सुरक्षा) रण सिंह देसवाल को 26 अगस्त 2002 को तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष मनोहर जोशी ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। वहीं 12 फरवरी 2002 को लोकसभा अध्यक्ष द्वारा देसवाल को आतंकी हमले के दौरान बहादुरी के लिए 50 हजार रुपए का आर्थिक सम्मान देने की घोषणा की गई थी, मगर आज तक उन्हें यह राशि नहीं मिली।