Monday, May 28, 2012

यहां कुछ हेल्दी टिप्स दिए जा रहे हैं, जो आपको आकर्षक और चुस्त दिखने में मदद करेंगे। हमेशा याद रखें कि बचाव इलाज से ज्यादा महत्वपूर्ण है। 

गाजर + अदरक + सेब= विटमिन ए से भरपूर होने के कारण ऊर्जा का स्त्रोत है तथा हमारे सिस्टम को दुरुस्त रखने में मदद करता है।

सेब + खीरा + सेलेरी= फाइटोकेमिकल्स होने के कारण कैंसर से बचाता है, कोलेस्ट्रॉल को कम करता है, खीरा होने से त्वचा के लिए लाभकारी है।

टमाटर + गाजर + सेब=  टमाटर लाइकोपीन से युक्त होने के कारण त्वचा की चमक बढ़ाता है तथा कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है।

सेब + दूध= विटमिन सी और ई होने के कारण इम्यून सिस्टम तथा पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है। कैल्शियम होने के कारण हड्डियों के लिए फायदेमंद है।

संतरा + अदरक + खीरा= त्वचा की कांति और मॉयश्चर (नमी) को बढ़ाता है तथा विटमिन सी से भरपूर होने के कारण कोल्ड एंड कफ को नियंत्रित करता है।

अनानास + सेब + तरबूज= शरीर से अधिक सॉल्ट को कम कर ब्लैडर और किडनी के लिए फायदेमंद होता है।

सेब + खीरा + किवी= त्वचा को गोरा बनाने में मददगार है।

गाजर + सेब + नाशपाती + आम= शरीर की गरमी और टॉक्सिन को बाहर निकालने तथा ब्लड प्रेशर को कम करने में सहयोगी है।

खरबूजा+ अंगूर + तरबूज + दूध= विटमिन सी और बी 2 से भरपूर इम्यून सिस्टम को मजबूती देता है।

पपीता + अनानास + दूध= विटमिन सी, ई, आयरन त्वचा को चमक देने के लिए और मेटाबॉलिज्म को मजबूती देने में मदद करता है।

केला + अनानास + दूध= विटमिन से भरपूर और पोषक होने के कारण पाचन संबंधी कमियां दूर करने में कारगर है।

Tuesday, May 22, 2012

मैं उस दोगले विचार वाले हिंदू से पूछना चाहता हूँ कि जब अपने भाई से बँटवारे के बाद अपने सगे भाई के किसी जरूरत को पूरा करने का दायित्व निभाना नहीं चाहते हो तो आखिर एक मुस्लिम के लिए अपने जुबान से भाईचारा की बात क्यों करते हो!!

तुम मत विरोध करो मुस्लिमों को अपनी कायरता को चुप रहकर भी हिंदुत्व से वफादारी निभा सकते हो परंतु गाँधी जैसे कुछ दोहरे विचार वाले को सम्मान पाते देख हर कायर हिंदु खुद को इंसान साबित करने के लिए अपनी माँ बहन को जोधा बनाने को व्याकुल है..

मुस्लिम जो खुद का सगा नहीं है वो तुम्हारा क्या होगा..
नहीं जानते हो तो जानो गणेश शंकर विद्यार्थी जी को भी धर्मनिरपेक्षता के कुत्ते ने काटा था,
बस मौत का साधन मुस्लिम बना था !
शर्म करो धर्मनिरपेक्षी हिंदुओं !!!

कुबुद्धिजीवी लोग क्यों हिंदू-मुस्लिम एकता की बात करते हैं, क्यों हिंदू-मुस्लिम भाई भाई और गंगा जमनी तहजीब की बात करते हैं........जबकियह दूर दूर तक संभव ही नहीं है.

जब भाई भाई थे तो पाकिस्तान क्यों बना ?

जब भाई भाई थे तो कश्मीरी पंडितों का पलायन और नरसंहार क्यों हुआ?

क्या कभी सूरज और चाँद एक हो सकते हैं ?

क्या कभी गाय को माता मानने वाले और दूसरी तरफ गाय का क़त्ल करने वालों में एकता हो सकती है ?

इस्लाम के अतिरिक्त हर धर्म के उपासक को काफिर मानने वालों से एकता हो सकती है ?

राम और चाणक्य के वंशज और लादेन के उपासक क्या एक हो सकते हैं ?

भारत के वंशज जिसके राष्ट्र ने पिछले १० हजार साल में किसी राष्ट्र पर आक्रमण नहीं किया और और इस्लाम जिसके संस्थापक ही लूटपाट, आतंकवाद, धार्मिक कट्टरता, और निर्दोष लोगों के क़त्ल के हिमायती हैं, उनके मध्य एकता हो सकती है ?

हिंदू धर्म जिसमें जीवन का लक्ष्य मोक्ष होता है...........इस्लाम मरने के बाद भी जन्नत की हूरों के साथ संसर्ग और शराब की नदियों में गोता लगाना होता है, के बीच में एकता हो सकती है ?

भारत माता के लिए सिर कटाने वाले और भारत माता को डायन कहने वाले के बीच एकता हो सकती है ?

इस देश का खाते हैं और कसीदे अरब मुल्कों के पढते हैं, के साथ एकता हो सकती है ?
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हिंदू भाइयों मान लो इस बात को जो संभव ही नहीं है.
शर्म करो धर्मनिरपेक्षी हिंदुओं !!!

(रूपेश मणि सिंह

Wednesday, March 21, 2012

सांप्रदायिक ?


श्रीराम सेना, आर एस एस - सांप्रदायिक
हूजी, सिमी- ????

टोपी - सेकुलर
तिलक - सांप्रदायिक ?
...
मंदिर : सांप्रदायिक
मस्जिद, चर्च - सेकुलर ?

गोधरा हत्याकांड - एक हादसा
उस पर प्रतिकृया - सांप्रदायिकता ?

बाबर की मस्जिद - सेकुलरता का प्रतीक
राम मंदिर आंदोलन - सांप्रदायिकता ?

राणा प्रताप - पर कोई फिल्म नहीं
अकबर - पर जोधा अकबर महान ?

भगत सिंह, वीर सावरकर- आतंकवादी
गांधी- ????

आसाराम बापू - हत्यारा
जॉन दयाल बिशप - महात्मा ?

इमाम : सेकुलर
मोदी : सांप्रदायिक ?

दारा सिंह - हत्यारा, हिन्दू सांप्रदायिक
मिशनरी - लोभ लालच देकर, बलात धर्म परिवर्तन आजादी ?

गुजरात दंगे - हिन्दू आतंकवाद
कश्मीरी हिन्दूओ का नरसंहार - ?

प्रज्ञा सिंह ठाकुर - हिन्दू आतंकवाद
अफजल, कसाब, मदनी - ???

Friday, March 16, 2012

aaruvedik dohe

1.जहाँ कहीं भी आपको,काँटा कोइ लग जाय। दूधी पीस लगाइये, काँटा बाहर आय।।

2.मिश्री कत्था तनिक सा,चूसें मुँह में डाल। मुँह में छाले हों अगर,दूर होंय तत्काल।।

3.पौदीना औ इलायची, लीजै दो-दो ग्राम। खायें उसे उबाल कर, उल्टी से आराम।।

4.छिलका लेंय इलायची,दो या तीन गिराम। सिर दर्द मुँह सूजना, लगा होय आराम।।

5.अण्डी पत्ता वृंत पर, चुना तनिक मिलाय। बार-बार तिल पर घिसे,तिल बाहर आ जाय।।

6.गाजर का रस पीजिये, आवश्कतानुसार। सभी जगह उपलब्ध यह,दूर करे अतिसार।।

7.खट्टा दामिड़ रस, दही,गाजर शाक पकाय। दूर करेगा अर्श को,जो भी इसको खाय।।

8.रस अनार की कली का,नाकबूँद दो डाल। खून बहे जो नाक से, बंद होय तत्काल।।

9.भून मुनक्का शुद्ध घी,सैंधा नमक मिलाय। चक्कर आना बंद हों,जो भी इसको खाय।।

10.मूली की शाखों का रस,ले निकाल सौ ग्राम। तीन बार दिन में पियें,पथरी से आराम।।

11.दो चम्मच रस प्याज की,मिश्री सँग पी जाय। पथरी केवल बीस दिन,में गल बाहर जाय।।

12.आधा कप अंगूर रस, केसर जरा मिलाय। पथरी से आराम हो, रोगी प्रतिदिन खाय।।

13.सदा करेला रस पिये,सुबहा हो औ शाम। दो चम्मच की मात्रा, पथरी से आराम।।

14.एक डेढ़ अनुपात कप, पालक रस चौलाइ। चीनी सँग लें बीस दिन,पथरी दे न दिखाइ।।

15.खीरे का रस लीजिये,कुछ दिन तीस ग्राम। लगातार सेवन करें, पथरी से आराम।।

16.बैगन भुर्ता बीज बिन,पन्द्रह दिन गर खाय। गल-गल करके आपकी,पथरी बाहर आय।।

17.लेकर कुलथी दाल को,पतली मगर बनाय। इसको नियमित खाय तो,पथरी बाहर आय।।

18.दामिड़(अनार) छिलका सुखाकर,पीसे चूर बनाय। सुबह-शाम जल डालकम, पी मुँह बदबू जाय।।

19. चूना घी और शहद को, ले सम भाग मिलाय। बिच्छू को विष दूर हो, इसको यदि लगाय।।

20. गरम नीर को कीजिये, उसमें शहद मिलाय। तीन बार दिन लीजिये, तो जुकाम मिट जाय।।

21. अदरक रस मधु(शहद) भाग सम, करें अगर उपयोग। दूर आपसे होयगा, कफ औ खाँसी रोग।।

22. ताजे तुलसी-पत्र का, पीजे रस दस ग्राम। पेट दर्द से पायँगे, कुछ पल का आराम।।

23.बहुत सहज उपचार है, यदि आग जल जाय। मींगी पीस कपास की, फौरन जले लगाय।।

24.रुई जलाकर भस्म कर, वहाँ करें भुरकाव। जल्दी ही आराम हो, होय जहाँ पर घाव।।

25.नीम-पत्र के चूर्ण मैं, अजवायन इक ग्राम। गुण संग पीजै पेट के, कीड़ों से आराम।।

26.दो-दो चम्मच शहद औ, रस ले नीम का पात। रोग पीलिया दूर हो, उठे पिये जो प्रात।।

27.मिश्री के संग पीजिये, रस ये पत्ते नीम। पेंचिश के ये रोग में, काम न कोई हकीम।।

28.हरड बहेडा आँवला चौथी नीम गिलोय, पंचम जीरा डालकर सुमिरन काया होय॥

29.सावन में गुड खावै, सो मौहर बराबर पावै॥

by: Dhruv sahni ji.

Sunday, March 4, 2012

हिन्दु मुस्लिम के बीच होने वाला प्यार



हिन्दु मुस्लिम के बीच होने वाला प्यार वन वे ट्रैफिक की तरह होता है
वन वे ट्रैफिक मतलब यदि लड़का मुस्लिम है और लड़की हिन्दू है तो लड़की इस्लाम स्वीकार करेगी
(चाहे नवाब पटौदी .. शर्मिला टैगोर उर्फ़आयेशा सुल्ताना हों
... अथवा फ़िरोज़ घांदी और इन्दिरा उर्फ़ मैमूना बेगम हों)
लेकिन यदि लड़की मुस्लिम है और लड़का हिन्दू है तो लड़के को ही इस्लाम स्वीकार करना पड़ेग
(चाहे वह कम्युनिस्ट इन्द्रजीत गुप्त हों या गायक सुमन चट्टोपाध्याय)
*जेमिमा मार्सेल गोल्डस्मिथ-इमरा न खान
1995 में शादी की इस्लाम अपनाया (हाइका खान)
उर्दू सीखी पाकिस्तान गई दो बच्चे सुलेमान और कासिम
पैदा किये फिर तलाक और वापस ब्रिटेन
.*सरस्वती-मोहम् मद मेराजुद्दीन नतीजा तलाक
.सैफ़ अली खान-अमृता सिंह को बच्चों सहित बेसहारा छोड़कर
करीना कपूर से इश्क फरमा रहा
.*उमर अब्दुल्ला-पायल
.गाँधीजी की पुत्री का विवाह एक मुस्लिम से हुआ,
सुब्रह्मण्यम स्वामी की पुत्री का निकाह विदेश सचिव सलमान हैदर के पुत्र से हुआ है,
प्रख्यात बंगाली कवि नज़रुल इस्लाम हुमायूं कबीर
(पूर्व केन्द्रीय मंत्री) ने भी हिन्दू लड़कियों से शादी की
.
*अज़हरुद्दीन-सं गीता बिजलानी
Shahrukh Khan - Gauri Chabbia
Amir Khan - Reena Dutta
(divorced) , Kiran Rao
Imraan Khan - Avantika
Farhan Akhtar - Adhuna Bhabani
Arbaaz Khan - Malaika Arora
Sohail Khan – Seema Sachdev
Zayed Khan - Malaika Parekh
Imraan Hasmi - Parveen Sahani
Aditi Govitrika - Muffazal
Lakdawala
Feroz Khan – Sundari
Farooq Sheikh – Roopa Jain
Naseeruddin Shah – Ratna Pathak
Javed Akhtar – Honey Irani
(divorced)
Salim Khan -Sushila Charak
(Salma); Helen Richardson
Baba Azmi–Saunhita Kiran Kher
(Tanvi)
Mohsin Khan – Reena Roy
Farhan Ebrahim-Pooja Bedi
(divorced)
Sajid Nadiadwala-Divy a Bharti
Shakeel Ladak–Amrita Arora
Irfaan Khan-Shivangi Devi
Zahir Khan-Isha Sharvani
*वहीदा रहमान ने कमलजीत से शादी की वह मुस्लिम बने
.अरुण गोविल के भाई ने तबस्सुम से शादी की मुस्लिम बने
.डॉ ज़ाकिर हुसैन की लड़की ने एक हिन्दू से
शादी की वह भी मुस्लिम बना
.
*मेदिनीपुर से 37 वर्षों तक सांसद रहने वाले कम्युनिस्ट
62 वर्ष की आयु में एक मुस्लिम महिला सुरैया से शादी करने के लिये
मुसलमान (इफ़्तियार गनी) बन गये
.
मुझे पता है मेरे इस लेख के जवाब में मुझे
सुनील दत्त-नरगिस से लेकर रितिक रोशन-
सुजैन खान तक के (गिनेचुने) उदाहरण सुनने
को मिलेंगे,
लेकिन फ़िर भी मेरा सवाल
वही रहेगा कि क्या सुनील दत्त या रितिक रोशन ने
अपनी पत्नियों को हिन्दू धर्म ग्रहण करवाया?
या शाहरुख खान ने गौरी के प्रेम में हिन्दू धर्म अपनाया? नहीं ना?
जी हाँ, वही वन-वे-ट्रैफ़िक! !!!
सवाल
उठना स्वाभाविक है कि ये कैसा प्रेम है?
यदि वाकई “प्रेम” ही है तो यह वन-वे
ट्रैफ़िक क्यों है?

Monday, February 13, 2012

"वेलनटाईन डे" का सच ......

पाश्चात्य साहित्य में ऐसा कहा जाता है की वेलनटाईन और प्रेम का दूर दूर तक कोई ताल्लुक नहीं आता फिर भी दुनिया में वेलनटाईन को प्रेम से जोड़कर देखा जाता है या कहे तो जबरदस्ती जोड़ कर रखा गया है इसके पीछे के कही कारन है पर पहले वेलनटाईन शब्द किससे सम्बंधित है उसको जान ले ..........
वेलनटाईन ऑफ़ रोम (इसवी सदी २६९ ) और वेलनटाईन ऑफ़ टर्नी (इसवी सदी १९७ )ऐसे दो संत होकर गए यूरोप में ,वेलनटाईन ऑफ़ रोम जो रोम में संत थे और वेलनटाईन ऑफ़ टर्नी आगे जाकर बिशॉप बने यूरोप में एक चर्च के जिनका प्रेम या उससे जुड़े कोई घटना से कोई सम्बन्ध नहीं था .....
तीसरे वेलनटाईन नाम के संत होकर गए अफ्रीका में वह भी धर्म प्रचारक ही थे उनका भी कोई सम्बन्ध नहीं रहा था प्रेम या प्यार नाम की चिड़िया से .........
पाश्चात्य ग्रंतो में एक और वेलनटाईन नाम के संत का उल्लेख होता है रोमन साम्राज्य के राजा क्लौड़ीयस द्वितीय के काल में ,ऐसा कहते है की रोमन साम्राज्य के राजा क्लौड़ीयस द्वितीय अपनी सेना के सैनिको के लिए ऐसा कानून बनाकर रखा था जिससे कोई सैनिक शादी नहीं कर सकता था कारन अगर सैनिक का परिवार होगा तो वो सभी लढाइयो में ध्यान नहीं दे पायेगा और उस राजा को सभी लढाइयो को जितने की महत्वाकांक्षा थी जिसके वजह से कोई भी सैनिक शादी नहीं करता अगर कोई सैनिक शादी करता तो उसे कठोर दंड दिया जाता पर उन सैनिको के लिए अपनी शारीरिक भूक मिटने के लिए वेश्याओ का प्रबंद जरुर किया जाता ,इसी दरम्यान इस चौथे वेलनटाईन नाम के संत का नाम आगे आया जिसपर आरोप लगाये गए थे की यह संत सैनिको की शादी करवाता था इसलिए राजा क्लौदियास ने इस संत को मौत की सजा सुनवाई थी पर इसके पीछे का सच भी कुछ और है की राजा क्लौदियास इस संत को रोमन पगानिस्म धर्म में धर्मान्तरित होने को कह रहा था जो खुद राजा का धर्म था पर इस काथलिक संत ने मना किया इसलिए उसे मौत के घाट उतारा और उसे सैनिको की शादी करवाने का झुटा आरोप लगा कर मार दिया गया ,इससे भी साबित होता है की इस संत का भी प्रेम या प्यार से कोई भी सम्बन्ध नहीं था ........
एक और सन्दर्भ आता है वेलनटाईन डे का ,यूरोप में फरवरी मध्य में पंछियों के मिलन का वक़्त होता जिससे पंची ब्रीडिंग करते है और अंडे देते है ,इसका भी मानवी संस्कृति का कोई सम्बन्ध नहीं आता है ......पंछियों के मिलन का और इन्सान के मिलन की कोई तुलना नहीं हो सकती .......

ये तो हुए वेलनटाईन नाम के किसी व्यक्ति या घटना से जुड़ा सच पर असली सच तो अभी बाकि है ..
वेलनटाईन डे शब्द असल में आता है फरवरी के बिच महीने में पक्षियों के मिलन का वक़्त पर यह वक़्त यूरोप के कुदरती वातावरण ,मौसम के अनुसार ही होता है इसका यूरोप छोड़कर किसी और जगह के मौसम से कोई सम्बन्ध नहीं है ........१७४७ में इंग्लैंड में एक प्रकाशक ने कुछ ऐसे ग्रीटिंग कार्ड बनाये जिससे बगैर कहे भी उस कार्ड के द्वारा अपनी भावना या विचार व्यक्त हो उस प्रकाशन कंपनी ने उसका नाम रखा था "द यंग म्य़ान्स वेलनटाईन राईटर " असल में यहाँ से शुरू हुआ था वेलनटाईन डे का प्रचालन जो पूरी दुनिया में फैलाया गया था जिसका असल उधेश्य सिर्फ और सिर्फ ग्रीटिंग कार्ड्स बेचना था साथ में रिबन और फूलो का भी व्यापर इसी तरह फैलाया गया ....
असलियत में प्रेम या शब्द अति संवेधन्शील और भावनात्मक होने के कारन दुनिया में युवा अवस्था के लोग झट से आकर्षित होते है इसलिए इसको व्यापार के तौर पर भरपूर अजमाया गया और इसमें आज भी सफलता मिल रही है व्यापारियों को ....
इसीतरह और भी डे का प्रचालन शुरू करके पाश्चात्य व्यापारियों ने दुनिया के युवाओ को पागल बना रखा है .....
इससे यह साबित होता है की भले यह व्यापार है पर इसका प्रचालन पाश्चात्य संस्कृति में हुआ था मगर इसे व्यापार के तौर पर दुनिया में फैला कर दुनिया के अलग अलग संस्कृतियों को भ्रष्ट करने का काम किया गया और भारत बड़ा बाजार है इसलिए जोरशोर से भारत में भी फैलाकर वैभवशाली और पुरातन भारतीय संस्कृति पर अतिक्रमण किया गया है यह सभी भारतीय जान ले ...........

Thursday, February 9, 2012

Dr. Subramanian Swamy


Dr. Subramanian Swamy

Born on September 15, 1939, Dr. Swamy is today a nationally known leader, who is widely respected for his conviction and commitment to furthering democracy and market economy. Infact, the Reform programme which Dr. Swamy had been promoting for nearly two decades has become today the mainstream thought and ideology in the country. Currently he is the President of the JANATA PARTY, a party founded by Lok Nayak Jayaprakash Narayan in 1977. A look into his past achievement can provide some insight into what makes him so different from his political contemporaries. He is a political leader with a difference. Presently he represents the historic city of Madurai in Lok Sabha, his faith term in Parliament, elected in 1998.

Academic Background:

Dr. Swamy has impressive scholarly credentials, having earned a doctorate in economics from the prestigious Harvard University in 1964, after having worked with Nobel Laureate Simon Kuznets, and jointly authored papers with another Nobel Laureate, Paul.A Samuelson.

At Harvard, Dr. Swamy taught Economics for a number of years (1963-69, 1971, 1985-86). From 1969-91, that is, for 22 years, Dr.Swamy was professor of Economics at the Indian Institute of Technology, New Delhi, till he resigned the post in 1991, while he was Cabinet Minister for Commerce, Law & Justice. Dr. Swamy is a linguist and is proficient in Tamil, Hindi, English and Chinese. Before going abroad for Ph.D. at Harvard, Dr.Swamy completed his Master in Statistics at the Indian Statistical Institute, Calcutta. It is here, that he challenged the authenticity of research done by ISI director Prof. Mahalanobis. For his scholarship, he was invited to enroll for Ph.D research at Harvard.

Contribution as an Economist:

Some of Dr. Swamy's research work carried out at Harvard and afterwards in India, have earned him a high standing in the field of Economics. Dr. Swamy published his first book in 1971 when he presented a clear alternative economic strategy, in his book Indian Economic Planning - An Alternative Approach (Vikas Publishers). The then Prime Minister Mrs. Indira Gandhi took the unprecedented step of critically reviewing the book on the floor of the Lok Sabha during her reply to the Budget Debate.

His work Economic Growth in China and India 1952-1970: A Comparative Appraisal (University of Chicago Press, 1973) has received wide scholarly acclaim in the field. His jointly authored papers with Nobel Laureate Paul A Samuelson on the 'Theory of Index Numbers' published in the American Economic Review (1974) and the Royal Economic Society's Economic Journal (1984) are regarded as path-breaking research in economic theory. He is also the author of a well-known study on Indian's nuclear on China with his second book Comparative Appraisal of China and India (1870-1986), published by Vikas in 1989.

Dr. Swamy and the Authoritarian Emergency:

In 1976, during the proclaimed state of Emergency by Mrs. Indira Gandhi, Dr.Swamy shot into a limelight for his daring escapades. Despite being "Most Wanted" by the police, he escaped abroad to reorganise the overseas Indians against the authoritarian rule in India.

Later in August 1976, he re-entered India under undetected, made a dramatic appearance in the Parliament to make a 'point of order' and then escaped abroad again. This bravery and demonstration that the security of the authorisation system could be breached at will, is believed to be partly responsible for the subsequent announcements of elections by a disheartened Mrs. Gandhi in 1977, and the withdrawal of the Emergency. Since then Dr. Swamy has crusaded on a number of issues of such public causes with attendant national attention.

His Role in Foreign Affairs

The reorientation of India's foreign policy (1978-85) towards China -from hostility to normalised relations - is widely ascribed in both countries to Dr. Swamy's untiring efforts in this direction. He was instrumental in persuading pilgrimage spot in Tibet - The Kailash Mountain and Manasarovar Lake. He has detailed his trip in his book jointly authored by Rahul Bedi titled: Kailash-Manasarovar (Allied Publisher -1982). Dr.Swamy has visited China nine times since 1978. His last visit was in October 1998.

In 1982, Dr.Swamy became the first Indian political leader to make publicized trip to Israel, where he met with some important Israeli leaders such as Yitzhale Rabin and then Prime Minister Mr. Menachim Begin. His efforts at normalizing relations with Israel have born fruit now with India's decision in 1992 to open Embassies in the respective countries. Few years ago, Dr.Swamy led a delegation to South Africa at the Invitation of the Indian Community there, and was received by President De Klerk of South Africa. This visit also proceeded the subsequent normalization of relations between the two countries. In 1983, he also visited Britain at the invitation of the British Government and attended the Labour Party Annual Conference at Blackpool.

In February 1997, he was invited by Prime Minister of Namibia to deliver a key note address at a conference of experts drawn from academics & politics.

He has written extensively on foreign affairs dealing largely with India-China, India-Pakistan and Indo-Israel relation. In November 1978, Dr.Swamy was member of the Group of Eminent persons called to Geneva to prepare a report of the United Nations (UNCTAD) on Economic Co-operation between Developing countries (ECDC). As early as 1963, Dr.Swamy also served for a few months at the United Nations Headquarters in New York as Assistant Economic Affairs Officer.

Dr.Swamy's Fight for Justice:

Dr.Swamy has a distinguished record in fighting for civil liberties. In 1972, he lost his professorship at the I.I.T. Delhi for crusading for academic freedom and for espousing the trade union rights of the non-teaching employees of the Institute. The Courts reinstated Dr.Swamy with full honors after twenty years of fiercely fought litigation.

In August 1987, he undertook a fast-unto death to demand an inquiry into the illegal killing of Muslim youth by the Police in Hashimpura, Meerut. The Government finally yielded to his demand for which Dr. Swamy was hailed by India's minorities.

In 1998, he led fishermen in their trawlers to Katchathivu, an island of Rameshwaram, to enforce the rights of Indian fishermen. The island had belonged to India from time immemorial. It was ceded by a Treaty to Sri Lanka in 1974, on the condition that Indian fishermen would enjoy fishing rights as before and also be allowed to visit the St.Anthony's Church on the island.

An outstanding Parliamentarian:

Dr.Swamy first entered Parliament in 1974, when he was elected to the Rajya Sabha (Parliament) from the State of Uttar Pradesh. In 1977 he entered Lok Sabha, to represent North-East Bombay for two consecutive terms. He is still remembered for the various projects he undertook and the contact he kept with the electorate.

From 1988 to 1994, he represented once again the state of Uttar Pradesh in the Rajya Sabha for a Six year term. In March 1988, he was elected to the Lok Sabha from Madurai Constituency in Tamilnadu. This is his fifth term as a Member of Parliament.

Committed to the J.P. Legacy:

Dr.Swamy was greatly influenced by Jayaprakash Narayan. Infact, his return to India was a direct result of his chance meeting with the late leader who spent three days with Dr.Swamy at Harvard.

Dr.Swamy began his political career as a member of the Jan Sangh in 1973. Later 1977, this party merged with the Janata Party. In 1979 and 1980, when the Janata Party split twice, Dr.Swamy became one of the few founding leaders who remained with the original party in face of desertions and even risking political wilderness. Dr.Swamy has always remained in the Janata Party. Dr.Swamy is today President of the Janata Party, a post he has held since 1990.

Proven Administrative Ability:

A glimpse of Dr.Swamy's administrative ability was seen during his tenure as Minister for two key portfolios: as Minister of Commerce, Law & Justice (1990 - 91). As a member of the powerful Cabinet Committee on Political Affairs, he fought terrorism in Tamilnadu, and is widely seen in the State as a Saviour. During his tenure as Minister, India signed historic trade agreement with China, Afghanistan and Poland. Dr.Swamy simplified trade procedures and formulated a new export strategy which became the forerunner of trade reform adopted subsequently. In 1994, Dr.Swamy was appointed by Prime Minister Mr.P.V.Narasimha Rao as Chairman, Commission on Labour Standards and International Trade, with a Cabinet Minister's rank. This was perhaps for the first time that a Opposition Party member was given a Cabinet rank post by the ruling party. This proved the recognition of his administrative capacity. As a Chairman, CLS, he produced four voluminous reports on Labour laws in the International Labour Organization framework. He also compiled an omnibus Labour Law to replace the Piecemeal and contradictory legislation Government has accepted the Commission's Reports recommended the same to the Government of India.

Friday, February 3, 2012

टू जी घोटाले की कहानी ...........!!!

2 जी घोटाला: सिर्फ 45 मिनट में लुट गए थे 1.76 लाख करोड़
अशोक रोड। संचार भवन। पहली मंजिल। दस जनवरी 2008। वक्त दोपहर पौने तीन बजे। संचार मंत्री एंदीमुथु राजा के निजी सहायक आरके चंदोलिया का दफ्तर। राजा के हुक्म से एक प्रेस रिलीज जारी होती है। 2 जी स्पेक्ट्रम 3.30 से 4.30 के बीच जारी होगा। तुरंत हड़कंप मच गया। सिर्फ 45 मिनट तो बाकी थे..

वह एक आम दिन था। कुछ खास था तो सिर्फ ए. राजा की इस भवन के दफ्तर में मौजूदगी। राजा यहां के अंधेरे और बेरौनक गलियारों से गुजरने की बजाए इलेक्ट्रॉनिक्स भवन के चमचमाते दफ्तर में बैठना ज्यादा पसंद करते थे। पर आज यहां विराजे थे। 2जी स्पेक्ट्रम के लिए चार महीने से चक्कर लगा कंपनियों के लोग भी इन्हीं अंधेरे गलियारों में मंडराते देखे गए।

लंच तक माहौल दूसरे सरकारी दफ्तरों की तरह सुस्त सा रहा। पौने तीन बजते ही तूफान सा आ गया। गलियारों में भागमभाग मच गई। मोबाइल फोनों पर होने वाली बातचीत चीख-पुकार में तब्दील हो गई। वे चंदोलिया के दफ्तर से मिली अपडेट अपने आकाओं को दे रहे थे। साढ़े तीन बजे तक सारी खानापूर्ति पूरी की जानी थी। उसके एक घंटे में अरबों-खरबों रुपए के मुनाफे की लॉटरी लगने वाली थी।

जनवरी की सर्दी में कंपनी वालों के माथे से पसीना चू रहा था। मोबाइल पर बात करते हुए आवाज कांप रही थी। सबकी कोशिश सबसे पहले आने की ही थी। लाइसेंस के लिए कतार का कायदा फीस जमा करने के आधार पर तय होना था। फीस भी कितनी- सिर्फ 1658 करोड़ रुपए का बैंक ड्राफ्ट। साथ में बैंक गारंटी, वायरलेस सर्विस ऑपरेटर के लिए आवेदन, गृह मंत्रालय का सिक्यूरिटी क्लीरेंस, वाणिज्य मंत्रालय के फॉरेन इंवेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (एफआईपीबी) का अनुमति पत्र.। ऐसे करीब एक दर्जन दस्तावेज जमा करना भी जरूरी था। वक्त सिर्फ 45 मिनट...

परदे के आगे की कहानी

25 सितंबर 2007 तक स्पेक्ट्रम के लिए आवेदन करने वाली कंपनियों में से जिन्हें हर प्रकार से योग्य माना गया उन कंपनियों के अफसरों को आठवीं मंजिल तक जाना था। डिप्टी डायरेक्टर जनरल (एक्सेस सर्विसेज) आर के श्रीवास्तव के दफ्तर में। यहीं मिलने थे लेटर ऑफ इंटेट। फिर दूसरी मंजिल के कमेटी रूम में बैठे टेलीकॉम एकाउंट सर्विस के अफसरों के सामने हाजिरी। यहां दाखिल होने थे 1658 करोड़ रुपए के ड्राफ्ट के साथ सभी जरूरी कागजात। यहां अफसर स्टॉप वॉच लेकर बैठे थे ताकि कागजात जमा होने का समय सेकंडों में दर्ज किया जाए।

किसी के लिए भी एक-एक सेकंड इतना कीमती इससे पहले कभी नहीं था। सबकी घड़ियों में कांटे आगे सरक रहे थे। बेचैनी, बदहवासी और अफरातफरी बढ़ गई थी। चतुर और पहले से तैयार कंपनियों के तजुर्बेकार अफसरों ने इस सख्त इम्तहान में अव्वल आने के लिए तरकश से तीर निकाले। अपनी कागजी खानापूर्ति वक्त पर पूरी करने के साथ प्रतिस्पर्धी कंपनियों के लोगों को अटकाना-उलझाना जरूरी था। अचानक संचार भवन में कुछ लोग नमूदार हुए। ये कुछ कंपनियों के ताकतवर सहायक थे। दिखने में दबंग।

हट्टे-कट्टे। कुछ भी कर गुजरने को तैयार। इनके आते ही माहौल गरमा गया। इन्हें अपना काम मालूम था। अपने बॉस का रास्ता साफ रखना, दूसरों को रोकना। लिफ्ट में पहले कौन दाखिल हो, इस पर झगड़े शुरू हो गए। धक्का-मुक्की होने लगी। सबको वक्त पर सही टेबल पर पहुंचने की जल्दी थी। पूर्व टेलीकॉम मंत्री सुखराम की विशेष कृपा के पात्र रहे हिमाचल फ्यूचरस्टिक कंपनी (एचएफसीएल) के मालिक महेंद्र नाहटा की तो पिटाई तक हो गई। उन्हें कतार से निकाल कर संचार भवन के बाहर धकिया दिया गया।

दबंगों के इस डायरेक्ट-एक्शन की चपेट में कई अफसर तक आ गए। किसी के साथ हाथापाई हुई, किसी के कपड़े फटते-फटते बचे। आला अफसरों ने हथियार डाल दिए। फौरन पुलिस बुलाई गई। घड़ी की सुइयां तेजी से सरक रही थीं। हालात काबू में आते-आते वक्त पूरा हो गया। जो कंपनियां साम, दाम, दंड, भेद के इस खेल में चंद मिनट या सेकंडों से पीछे रह गईं, उनके नुमांइदे अदालत जाने की घुड़कियां देते निकले।

लुटे-पिटे अंदाज में। एक कंपनी के प्रतिनिधि ने आत्महत्या कर लेने की धमकी दी। कई अन्य कंपनियों के लोग वहीं धरने पर बैठ गए। पुलिस को बल प्रयोग कर उन्हें हटाना पड़ा। आवेदन करने वाली 46 में से केवल नौ कंपनियां ही पौन घंटे के इस गलाकाट इम्तहान में कामयाब रहीं। इनमें यूनिटेक, स्वॉन, डाटाकॉम, एसटेल और शिपिंग स्टॉप डॉट काम नई कंपनियां थीं जबकि आइडिया, टाटा, श्याम टेलीलिंक और स्पाइस बाजार में पहले से डटी थीं।

एचएफसीएल, पाश्र्वनाथ बिल्डर्स और चीता कारपोरेट सर्विसेज के आवेदन खारिज हो गए। बाईसेल के बाकी कागज पूरे थे सिर्फ गृहमंत्रालय से सुरक्षा जांच का प्रमाणपत्र नदारद था। सेलीन इंफ्रास्ट्रक्चर के आवेदन के साथ एफआईपीबी का क्लियरेंस नहीं था। बाईसेल के अफसर छाती पीटते रहे कि प्रतिद्वंद्वियों ने उनके खिलाफ झूठे केस बनाकर गृह मंत्रालय का प्रमाणपत्र रुकवा दिया। उस दिन संचार भवन में केवल लूटमार का नजारा था। पौन घंटे का यह एपीसोड कई दिनों तक चर्चा का विषय बना रहा।

परदे के पीछे की कहानी

इसी दिन। सुबह नौ बजे। संचार मंत्री ए. राजा का सरकारी निवास। कुछ लोग नाश्ते के लिए बुलाए गए थे। इनमें टेलीकॉम सेक्रेट्री सिद्धार्थ बेहुरा, डीडीजी (एक्सेस सर्विसेज) आर के श्रीवास्तव, मंत्री के निजी सहायक आर. के. चंदोलिया, वायरलेस सेल के चीफ अशोक चंद्रा और वायरलेस प्लानिंग एडवाइजर पी. के. गर्ग थे।

कोहरे से भरी उस सर्द सुबह गरमागरम चाय और नाश्ते का लुत्फ लेते हुए राजा ने अपने इन अफसरों को अलर्ट किया। राजा आज के दिन की अहमियत बता रहे थे। खासतौर से दोपहर 2.45 से 4.30 बजे के बीच की। राजा ने बारीकी से समझाया कि कब क्या करना है और किसके हिस्से में क्या काम है? चाय की आखिरी चुस्की के साथ राजा ने बेफिक्र होकर कहा कि मुझे आप लोगों पर पूरा भरोसा है। अफसर खुश होकर बंगले से बाहर निकले और रवाना हो गए।

दोपहर तीन बजे। संचार भवन। आठवीं मंजिल। एक्सेस सर्विसेज का दफ्तर। फोन की घंटी बजी। दूसरी तरफ डीडीजी (एक्सेस सर्विसेज) आर. के. श्रीवास्तव थे। यहां मौजूद अफसरों को चंदोलिया के कमरे में तलब किया गया। मंत्री के ऑफिस के ठीक सामने चंदोलिया का कक्ष है। एक्शन प्लान के मुताबिक सब यहां इकट्ठे हुए। इनका सामना स्वॉन टेलीकॉम और यूनिटेक के आला अफसरों से हुआ। चंदोलिया ने आदेश दिया कि इन साहेबान से ड्राफ्ट और बाकी कागजात लेकर शीर्ष वरीयता प्रदान करो। बिना देर किए स्वॉन को पहला नंबर मिला, यूनिटेक को दूसरा।

सबकुछ इत्मीनान से। यहां कोई धक्कामुक्की और अफरातफरी नहीं मची। बाहर दूसरी कंपनियों को साढ़े तीन बजे तक जरूरी औपचारिकताएं पूरी करने में पसीना आ रहा था। अंदर स्वॉन और यूनिटेक को पंद्रह मिनट भी नहीं लगे। इन कंपनियों को पहले ही मालूम था कि करना क्या है। इसलिए इनके अफसर चंदोलिया के दफ्तर से प्रसन्नचित्त होकर विजयी भाव से मोबाइल कान से लगाए बाहर निकले। दूर कहीं किसी को गुड न्यूज देते हुए। 45 मिनट के तेज रफ्तार घटनाक्रम ने एक लाख 76 हजार करोड़ रुपए के घोटाले की कहानी लिख दी थी। राजा के लिए बेहद अहम यह दिन सरकारी खजाने पर बहुत भारी पड़ा था।

एक महिला, 9 फोन लाइनें, 300 दिन, 5851 कॉल्स

फोन कॉल्स में दर्ज फरेब
2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की मुख्य किरदार नीरा राडिया के नौ टेलीफोन 300 दिन तक आयकर विभाग ने टैप किए। कुल 5,851 कॉल्स रिकार्ड की गईं। इनमें से सौ का रिकॉर्ड लीक हो चुका है।

Wednesday, February 1, 2012

मुस्लिमो को असलियत

जब तक मुस्लिमों की जनसंख्या किसी देश/प्रदेश/क्षेत्र में लगभग 2% के आसपास होती है, तब वे एकदम शांतिप्रिय, कानूनपसन्द अल्पसंख्यक बनकर रहते हैं और किसी को विशेष शिकायत का मौका नहीं देते, जैसे -

अमेरिका – मुस्लिम 0.6%

ऑस्ट्रेलिया – मुस्लिम 1.5%

कनाडा – मुस्लिम 1.9%

चीन – मुस्लिम 1.8%

इटली – मुस्लिम 1.5%

नॉर्वे – मुस्लिम 1.8%

जब मुस्लिम जनसंख्या 2% से 5% के बीच तक पहुँच जाती है, तब वे अन्य धर्मावलम्बियों में अपना “धर्मप्रचार” शुरु कर देते हैं, जिनमें अक्सर समाज का निचला तबका और अन्य धर्मों से असंतुष्ट हुए लोग होते हैं, जैसे कि –

डेनमार्क – मुस्लिम 2%

जर्मनी – मुस्लिम 3.7%

ब्रिटेन – मुस्लिम 2.7%

स्पेन – मुस्लिम 4%

थाईलैण्ड – मुस्लिम 4.6%

मुस्लिम जनसंख्या के 5% से ऊपर हो जाने पर वे अपने अनुपात के हिसाब से अन्य धर्मावलम्बियों पर दबाव बढ़ाने लगते हैं और अपना “प्रभाव” जमाने की कोशिश करने लगते हैं। उदाहरण के लिये वे सरकारों और शॉपिंग मॉल पर “हलाल” का माँस रखने का दबाव बनाने लगते हैं, वे कहते हैं कि “हलाल” का माँस न खाने से उनकी धार्मिक मान्यतायें प्रभावित होती हैं। इस कदम से कई पश्चिमी देशों में “खाद्य वस्तुओं” के बाजार में मुस्लिमों की तगड़ी पैठ बनी। उन्होंने कई देशों के सुपरमार्केट के मालिकों को दबाव डालकर अपने यहाँ “हलाल” का माँस रखने को बाध्य किया। दुकानदार भी “धंधे” को देखते हुए उनका कहा मान लेता है (अधिक जनसंख्या होने का “फ़ैक्टर” यहाँ से मजबूत होना शुरु हो जाता है), ऐसा जिन देशों में हो चुका वह हैं –

फ़्रांस – मुस्लिम 8%

फ़िलीपीन्स – मुस्लिम 6%

स्वीडन – मुस्लिम 5.5%

स्विटजरलैण्ड – मुस्लिम 5.3%

नीडरलैण्ड – मुस्लिम 5.8%

त्रिनिदाद और टोबैगो – मुस्लिम 6%

इस बिन्दु पर आकर “मुस्लिम” सरकारों पर यह दबाव बनाने लगते हैं कि उन्हें उनके “क्षेत्रों” में शरीयत कानून (इस्लामिक कानून) के मुताबिक चलने दिया जाये (क्योंकि उनका अन्तिम लक्ष्य तो यही है कि समूचा विश्व “शरीयत” कानून के हिसाब से चले)। जब मुस्लिम जनसंख्या 10% से अधिक हो जाती है तब वे उस देश/प्रदेश/राज्य/क्षेत्र विशेष में कानून-व्यवस्था के लिये परेशानी पैदा करना शुरु कर देते हैं, शिकायतें करना शुरु कर देते हैं, उनकी “आर्थिक परिस्थिति” का रोना लेकर बैठ जाते हैं, छोटी-छोटी बातों को सहिष्णुता से लेने की बजाय दंगे, तोड़फ़ोड़ आदि पर उतर आते हैं, चाहे वह फ़्रांस के दंगे हों, डेनमार्क का कार्टून विवाद हो, या फ़िर एम्स्टर्डम में कारों का जलाना हो, हरेक विवाद को समझबूझ, बातचीत से खत्म करने की बजाय खामख्वाह और गहरा किया जाता है, जैसे कि –

गुयाना – मुस्लिम 10%

भारत – मुस्लिम 15%

इसराइल – मुस्लिम 16%

केन्या – मुस्लिम 11%

रूस – मुस्लिम 15% (चेचन्या – मुस्लिम आबादी 70%)

जब मुस्लिम जनसंख्या 20% से ऊपर हो जाती है तब विभिन्न “सैनिक शाखायें” जेहाद के नारे लगाने लगती हैं, असहिष्णुता और धार्मिक हत्याओं का दौर शुरु हो जाता है, जैसे-

इथियोपिया – मुस्लिम 32.8%

जनसंख्या के 40% के स्तर से ऊपर पहुँच जाने पर बड़ी संख्या में सामूहिक हत्याऐं, आतंकवादी कार्रवाईयाँ आदि चलने लगते हैं, जैसे –

बोस्निया – मुस्लिम 40%

चाड – मुस्लिम 54.2%

लेबनान – मुस्लिम 59%

जब मुस्लिम जनसंख्या 60% से ऊपर हो जाती है तब अन्य धर्मावलंबियों का “जातीय सफ़ाया” शुरु किया जाता है (उदाहरण भारत का कश्मीर), जबरिया मुस्लिम बनाना, अन्य धर्मों के धार्मिक स्थल तोड़ना, जजिया जैसा कोई अन्य कर वसूलना आदि किया जाता है, जैसे –

अल्बानिया – मुस्लिम 70%

मलेशिया – मुस्लिम 62%

कतर – मुस्लिम 78%

सूडान – मुस्लिम 75%

जनसंख्या के 80% से ऊपर हो जाने के बाद तो सत्ता/शासन प्रायोजित जातीय सफ़ाई की जाती है, अन्य धर्मों के अल्पसंख्यकों को उनके मूल नागरिक अधिकारों से भी वंचित कर दिया जाता है, सभी प्रकार के हथकण्डे/हथियार अपनाकर जनसंख्या को 100% तक ले जाने का लक्ष्य रखा जाता है, जैसे –

बांग्लादेश – मुस्लिम 83%

मिस्त्र – मुस्लिम 90%

गाज़ा पट्टी – मुस्लिम 98%

ईरान – मुस्लिम 98%

ईराक – मुस्लिम 97%

जोर्डन – मुस्लिम 93%

मोरक्को – मुस्लिम 98%

पाकिस्तान – मुस्लिम 97%

सीरिया – मुस्लिम 90%

संयुक्त अरब अमीरात – मुस्लिम 96%

बनती कोशिश पूरी 100% जनसंख्या मुस्लिम बन जाने, यानी कि दार-ए-स्सलाम होने की स्थिति में वहाँ सिर्फ़ मदरसे होते हैं और सिर्फ़ कुरान पढ़ाई जाती है और उसे ही अन्तिम सत्य माना जाता है, जैसे –

अफ़गानिस्तान – मुस्लिम 100%

सऊदी अरब – मुस्लिम 100%

सोमालिया – मुस्लिम 100%

यमन – मुस्लिम 100%

आज की स्थिति में मुस्लिमों की जनसंख्या समूचे विश्व की जनसंख्या का 22-24% है, लेकिन ईसाईयों, हिन्दुओं और यहूदियों के मुकाबले उनकी जन्मदर को देखते हुए कहा जा सकता है कि इस शताब्दी के अन्त से पहले ही मुस्लिम जनसंख्या विश्व की 50% हो जायेगी (यदि तब तक धरती बची तो)… भारत में कुल मुस्लिम जनसंख्या 15% के आसपास मानी जाती है, जबकि हकीकत यह है कि उत्तरप्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और केरल के कई जिलों में यह आँकड़ा २० से ३०% तक पहुँच चुका है… अब देश में आगे चलकर क्या परिस्थितियाँ बनेंगी यह कोई भी (“सेकुलरों” को छोड़कर) आसानी से सोच-समझ सकता है…

(सभी सन्दर्भ और आँकड़े : डॉ पीटर हैमण्ड की पुस्तक “स्लेवरी, टेररिज़्म एण्ड इस्लाम – द हिस्टोरिकल रूट्स एण्ड कण्टेम्पररी थ्रेट तथा लियोन यूरिस – “द हज”, से साभार)

Friday, January 13, 2012

कुरान मजीद

कुरान मजीद (अनु. मौहम्मद फारुख खां, प्रकाशक मक्तबा अल हस्नात, रामपुर उ.प्र. १९६६)

1- ''फिर, जब हराम के महीने बीत जाऐं, तो 'मुश्रिको' को जहाँ-कहीं पाओ कत्ल करो, और पकड़ो और उन्हें घेरो और हर घातकी जगह उनकी ताक में बैठो। फिर यदि वे 'तौबा' कर लें 'नमाज' कायम करें और, जकात दें तो उनका मार्ग छोड़ दो। निःसंदेह अल्लाह बड़ा क्षमाशील और दया करने वाला है।'' (पा० १०, सूरा. ९, आयत ५,२ख पृ. ३६८)
2- ''हे 'ईमान' लाने वालो! 'मुश्रिक' (मूर्तिपूजक) नापाक हैं।'' (१०.९.२८ पृ. ३७१)
3- ''निःसंदेह 'काफिर तुम्हारे खुले दुश्मन हैं।'' (५.४.१०१. पृ. २३९)
4- ''हे 'ईमान' लाने वालों! (मुसलमानों) उन 'काफिरों' से लड़ो जो तुम्हारे आस पास हैं, और चाहिए कि वे तुममें सखती पायें।'' (११.९.१२३ पृ. ३९१)
5- ''जिन लोगों ने हमारी ''आयतों'' का इन्कार किया, उन्हें हम जल्द अग्नि में झोंक देंगे। जब उनकी खालें पक जाएंगी तो हम उन्हें दूसरी खालों से बदल देंगे ताकि वे यातना का रसास्वादन कर लें। निःसन्देह अल्लाह प्रभुत्वशाली तत्वदर्शी हैं'' (५.४.५६ पृ. २३१)
5- ''हे 'ईमान' लाने वालों! (मुसलमानों) अपने बापों और भाईयों को अपना मित्र मत बनाओ यदि वे ईमान की अपेक्षा 'कुफ्र' को पसन्द करें। और तुम में से जो कोई उनसे मित्रता का नाता जोड़ेगा, तो ऐसे ही लोग जालिम होंगे'' (१०.९.२३ पृ. ३७०)
7- ''अल्लाह 'काफिर' लोगों को मार्ग नहीं दिखाता'' (१०.९.३७ पृ. ३७४)
8- ''हे 'ईमान' लाने वालो! उन्हें (किताब वालों) और काफिरों को अपना मित्र बनाओ। अल्ला से डरते रहो यदि तुम 'ईमान' वाले हो।'' (६.५.५७ पृ. २६८)
9- ''फिटकारे हुए, (मुनाफिक) जहां कही पाए जाऐंगे पकड़े जाएंगे और बुरी तरह कत्ल किए जाएंगे।'' (२२.३३.६१ पृ. ७५९)
10- ''(कहा जाऐगा): निश्चय ही तुम और वह जिसे तुम अल्लाह के सिवा पूजते थे 'जहन्नम' का ईधन हो। तुम अवश्य उसके घाट उतरोगे।''
11- 'और उस से बढ़कर जालिम कौन होगा जिसे उसके 'रब' की आयतों के द्वारा चेताया जाये और फिर वह उनसे मुँह फेर ले। निश्चय ही हमें ऐसे अपराधियों से बदला लेना है।'' (२१.३२.२२ पृ. ७३६)
12- 'अल्लाह ने तुमसे बहुत सी 'गनीमतों' का वादा किया है जो तुम्हारे हाथ आयेंगी,'' (२६.४८.२० पृ. ९४३)
13- ''तो जो कुछ गनीमत (का माल) तुमने हासिल किया है उसे हलाल व पाक समझ कर खाओ'' (१०.८.६९. पृ. ३५९)
14- ''हे नबी! 'काफिरों' और 'मुनाफिकों' के साथ जिहाद करो, और उन पर सखती करो और उनका ठिकाना 'जहन्नम' है, और बुरी जगह है जहाँ पहुँचे'' (२८.६६.९. पृ. १०५५)
15- 'तो अवश्य हम 'कुफ्र' करने वालों को यातना का मजा चखायेंगे, और अवश्य ही हम उन्हें सबसे बुरा बदला देंगे उस कर्म का जो वे करते थे।'' (२४.४१.२७ पृ. ८६५)
16- ''यह बदला है अल्लाह के शत्रुओं का ('जहन्नम' की) आग। इसी में उनका सदा का घर है, इसके बदले में कि हमारी 'आयतों' का इन्कार करते थे।'' (२४.४१.२८ पृ. ८६५)
17- ''निःसंदेह अल्लाह ने 'ईमानवालों' (मुसलमानों) से उनके प्राणों और उनके मालों को इसके बदले में खरीद लिया है कि उनके लिए 'जन्नत' हैः वे अल्लाह के मार्ग में लड़ते हैं तो मारते भी हैं और मारे भी जाते हैं।'' (११.९.१११ पृ. ३८८)
18- ''अल्लाह ने इन 'मुनाफिक' (कपटाचारी) पुरुषों और मुनाफिक स्त्रियों और काफिरों से 'जहन्नम' की आग का वादा किया है जिसमें वे सदा रहेंगे। यही उन्हें बस है। अल्लाह ने उन्हें लानत की और उनके लिए स्थायी यातना है।'' (१०.९.६८ पृ. ३७९)
19- ''हे नबी! 'ईमान वालों' (मुसलमानों) को लड़ाई पर उभारो। यदि तुम में बीस जमे रहने वाले होंगे तो वे दो सौ पर प्रभुत्व प्राप्त करेंगे, और यदि तुम में सौ हो तो एक हजार काफिरों पर भारी रहेंगे, क्योंकि वे ऐसे लोग हैं जो समझबूझ नहीं रखते।'' (१०.८.६५ पृ. ३५८)
20- ''हे 'ईमान' लाने वालों! तुम यहूदियों और ईसाईयों को मित्र न बनाओ। ये आपस में एक दूसरे के मित्र हैं। और जो कोई तुम में से उनको मित्र बनायेगा, वह उन्हीं में से होगा। निःसन्देह अल्लाह जुल्म करने वालों को मार्ग नहीं दिखाता।'' (६.५.५१ पृ. २६७)
21- ''किताब वाले'' जो न अल्लाह पर ईमान लाते हैं न अन्तिम दिन पर, न उसे 'हराम' करते हैं जिसे अल्लाह और उसके रसूल ने हराम ठहराया है, और न सच्चे दीन को अपना 'दीन' बनाते हैं उनकसे लड़ो यहाँ तक कि वे अप्रतिष्ठित (अपमानित) होकर अपने हाथों से 'जिजया' देने लगे।'' (१०.९.२९. पृ. ३७२)
22- २२ ''.......फिर हमने उनके बीच कियामत के दिन तक के लिये वैमनस्य और द्वेष की आग भड़का दी, और अल्लाह जल्द उन्हें बता देगा जो कुछ वे करते रहे हैं। (६.५.१४ पृ. २६०)
23- ''वे चाहते हैं कि जिस तरह से वे काफिर हुए हैं उसी तरह से तुम भी 'काफिर' हो जाओ, फिर तुम एक जैसे हो जाओः तो उनमें से किसी को अपना साथी न बनाना जब तक वे अल्लाह की राह में हिजरत न करें, और यदि वे इससे फिर जावें तो उन्हें जहाँ कहीं पाओं पकड़ों और उनका वध (कत्ल) करो। और उनमें से किसी को साथी और सहायक मत बनाना।'' (५.४.८९ पृ. २३७)
24- ''उन (काफिरों) से लड़ों! अल्लाह तुम्हारे हाथों उन्हें यातना देगा, और उन्हें रुसवा करेगा और उनके मुकाबले में तुम्हारी सहायता करेगा, और 'ईमान' वालों लोगों के दिल ठंडे करेगा'' (१०.९.१४. पृ. ३६९)
उपरोक्त आयतों से स्पष्ट है कि इनमें ईर्ष्या, द्वेष, घृणा, कपट, लड़ाई-झगड़ा, लूटमार और हत्या करने के आदेश मिलते हैं। इन्हीं कारणों से देश व विश्व में मुस्लिमों व गैर मुस्लिमों के बीच दंगे हुआ करते हैं।

Tuesday, January 10, 2012

रसूल लीला :इस्लामी कामसूत्र !!

बी.एन. शर्मा
प्रस्‍तुतिः डॉ0 संतोष राय

कुछ दिनों से देखा जा रहा है कि मुस्लिम ब्लोगर जब कोई तर्कपूर्ण समुचित जवाब देने में असफल हो गए हैं ,तो बेनाम के भेस में अश्लील कमेन्ट करने लगे हैं .और इस्लाम का असली घिनावना रूप दिखा रहे है .इस से मुझे कोई ताज्जुब नहीं हो रहा है .असल में यह लोग मुहम्मद की सुन्नत का पालन कर रहे .मुहम्मद जैसा था ,और जैसी उसकी शिक्षा थी वही गन्दगी मुसलमानों के दिमागों में भरी हुई थी .यद्यपि मैंने यह लेख काफी पहले तय्यार कर लिया था .लेकिन इन बेनामी मुस्लिम ब्लोगरों ने इसे प्रकाशित करने का अवसर दे दिया .
यह बात तो सर्वविदित है कि मुहम्मद एक अय्याश व्यक्ति था .लेकिन वह सेक्स गुरु भी था .वह मुसलमानों को सेक्स के नये नए तरीके सिखाता रहता था .ताकि मुसलमान उसका अनुकरण करके वैसा ही करें .क्योंकि जिहादियों को क्रूर होने के साथ साथ अय्याश होना भी जरुरी है .अगर इस दुनिया में अय्याशी नहीं करेंगे तो ,मर कर जन्नत में अय्याशी कैसे करेंगे .यही इस्लाम का आधार और मुसलमानों का एकमात्र लक्ष्य है .
यद्यपि मुहम्मद ने सेक्स के बारे में कोई अलग से किताब नहीं लिखी है ,परन्तु उसने जो भी आय्याशियाँ कि हैं ,वे सब हदीसों में मौजूद हैं .उन से छांट कर यह इस्लामी कामसूत्र الكِتاب الجِنس الاسلاميه प्रस्तुत किया जा रहा है .इसमे प्रारम्भ से अंत तक इस्लामी सेक्स की जानकारी है .यह ज्ञान मुस्लिम महिलाओं के लिए अवश्य उपयोगी होगा . " فقط للنساء المسلمات "केवल मुस्लिम महिलाओं के लिए !

1 -सेक्स की तय्यारी कैसे करें
"औरतें अपने जिहादी पतियों के घर में आने से पहिले अपने निचे के बाल(Pubic Hair )साफ़ करके रखें ".बुखारी -जिल्द 7 किताब 62 हदीस 173
"मुस्लिम औरतें अपनी योनी और बगल के बाल साफ करके तय्यार रहें "बुखारी -जिल्द 7 किताब 72 हदीस 177
2 -सेक्स के लिए सदा तय्यार रहें
"यदि कोई औरत घर के काम में व्यस्त हो ,और उसका जिहादी पति उसे सेक्स के लिए बुलाये तो ,औरत को चाहिए कि सब काम छोड़कर तुरंत ही वहीँ पर सम्भोग करवा ले "मुस्लिम -किताब 8 हदीस 3240
"सम्भोग करना जरुरी है ,चाहे तुम्हारी पत्नी राजी हो या नहीं ."मुस्लिम -किताब 3 हदीस 677 और 680
3 -छातियाँ मसलवाना(Breastpresing )
"अबू मूसा बिन अशरी ने कहा कि मैं अपनी पत्नी की छातियाँ दबाकर उसका दूध पीता हूँ .मुझे लगा कि यह हराम है .फिर अब्दुल्लाह बिन मसूद ने रसूल से पूछा तो रसूल ने कहा कि यह काम जायज है "मुवत्ता-किताब 30 हदीस 214
"याहया बिन मालिक ने कहा कि मैं अपनी पत्नी के स्तनों से दूध पीता हूँ ,क्या यह हराम है .तब अबू मूसने कहा कि इसे रसूल ने जायज कहा है .और मैं दो सालों से यही कर रहा हूँ "मलिक मुवत्ता -किताब 30 हदीस 215
4 -कुंवारी लड़कियाँ सेक्स के लिए उत्तम हैं
"अल्लाह की नजर में कुंवारी और अक्षत योनी लड़कियाँ उत्तम होती है "बुखारी -जिल्द 7 किताब 62 हदीस 16
"कुँवारी लड़कियाँ सेक्स के लिए श्रेष्ठ होती हैं "बुखारी -जिल्द 38 हदीस 504 .
"रसूल ने कहा कि ,कुंवारी कन्या के साथ सम्भोग करने में अधिक आनंद आता है "मुस्लिम -किताब 8 हदीस 3459 .
5 -औरत की माहवारी में सम्भोग की विधि
"आयशा नेकहा कि ,रसूल उस समय भी सम्भोग करते थे जब मैं माहवारी में होती थी "बुखारी -जिल्द 3 किताब 33 हदीस 247
"रसूल ने कहा कि ,तुम औरतों से मास्क के समय भी सम्भोग कर सकते हो "अबू दाऊद-किताब 1 हदीस 270
"मासिक के समय किसी भी औरत के साथ सम्भोग करना हलाल है "अबूदाऊद -किताब 1 हदीस 212
"अगर कोई गलती से पत्नी के आलावा किसी ऐसी स्त्री से सम्भोग करे ,जो मासिक से हो ,तो उसे प्रायश्चित के लिए आधा दीनार खैरात कर देना चाहिए"
"अबू दाऊद -किताब 11 हदीस 2164
"और अगर अपनी पत्नी से उसकी मासिक के समय सम्भोग करे तो ,सदके के तौर पर एक दीनार दे देना चाहिए "
.अबू दाऊद -किताब 1 हदीस 264 और 302
"यदि स्त्री की योनी से मासिक स्राव अधिक बह रहा हो तो ,पहिले योनी से स्राव को साफ कर लें ,फिर तेल लगा कर सम्भोग करें .यही तरिका रसूल ने बताया है.
"सही मुस्लिम -किताब 3 हदीस 647 .
"आयशा ने कहा कि,जब भी मैं मासिक में होती थी रसूल मेरी योनी से स्राव साफ करके सम्भोग किया करते थे "
मुस्लिम -किताब 3 हदीस 658
6 -सम्भोग के बाद गुस्ल जरूरी नहीं
"आयशा ने कहा कि रसूल सम्भोग के बाद बिना गुस्ल किये ही मेरे साथ उसी हालत में सो जाते थे" .अबू दाऊद-किताब 1 हदीस 42
"आयशा ने बताया कि ,जब रसूल और मैं सम्भोग के बाद गंदे हो जाते थे ,तो रासुल्बिना पानी छुए ही मेरे पास सो जाते थे ..और उठकर नमाज के लिए चले जाते थे ".अबू दाऊद -किताब 1 हदीस 42
"आयशा ने कहा कि ,जब सम्भोग के बाद एअसुल गंदे हो जाते थे ,तो उसी हालत में सो जाते थे ,फिर बाद में उठ जाने पर बाजार या नमाज के लिए चले जाते थे .उनके पापड़ों पर वीर्य के दाग साफ दिखाई देते थे ,"अबू दाऊद -किताब 1 हदीस 228
"आयशा ने कहा कि ,जब सम्भोग के बाद रसूल के कपड़ों पर वीर्य सुख जाता था .और दाग पड़ जाता था तो मैं अपने नाखूनों से वीर्य के दागों को खुरच देती थी .रसूल वही कपडे पहिन कर नमाज के लिए चले जाते थे "अबू दाऊद -किताब 11 हदीस 2161
7 -वीर्य का स्वाद और रंग
"अनस बिन मलिक कहा कि रसूल ने उम्म सलेम को बताया कि पुषों के वीर्य का रंग सफ़ेद होता है और गाढ़ा होता है .और बेस्वाद होता है .लेकिन स्त्री का वीर्य पतला ,पीला और तल्ख़ होता है "अबू दाऊद -किताब 3 हदीस 608
"उम्म सलेम ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि स्त्रियों कि योनी से हमेशा एक स्राव निकलता रहता है .जिसका रंग पीला होता है .रसूल ने फिर कहा कि मुझे यह बात कहने कोई शर्म नहीं है कि , योनी के स्राव का स्वाद तल्ख़ और तीखा होता है "अबू दाऊद -किताब 3 हदीस 610 .
8 -माँ बेटी से एक साथ सम्भोग
"याह्या बिन मलिक की रवायत है कि उबैदुल्ला इब्न उतवा इब्न मसूद ने कहा कि उमर बिन खत्ताब ने जिहाद में एक माँ और बेटी को पकड़ लिया .और रसूल से पूछा क्या हम इन से एक एक करके सम्भोग करें या अलग अलग ,रसूल ने कहा की तुम दौनों से एक ही समय सम्भोग कर सकते हो .इसकी अनुमति है .लेकिन मैं इसे नापसंद करता हूँ "मलिक मुवत्ता-किताब 28 हदीस 1433
9 -वेश्या गमन
"रसूल ने कहा कि जिहाद के समय मुसलमान एक रात केलिए भी शादी कर सकते हैं "मुस्लिम -किताब 8 हदीस 3253
10 -कुतिया आसन(Doggy style )
"जाबिर बिन अब्दुल्लाह ने रसूल से कहा कि एक यहूदी अपनी पत्नी की योनी में पीछे से लिंग प्रवेश करता है .क्या बुरी बात है .रसूल ने कहा की इसमे कोई हर्ज नहीं है ."मुस्लिम -किताब 8 हदीस 3364
"अबू जुहरी ने कहा की रसूल ने कहा कि,तुम चाहे औरतों से आगे से सम्भोग करो चाहे पीछे से ,परन्तु लिंग योनी के अन्दर ही प्रवेश होना चाहिए .नहीं तो संतान भेंगी होती है "मुस्लिम -किताब 8 हदीस 3365
11 -जंघा मैथुन (Thighing )
"आयशा ने कहा कि ,जिस समय मैं माहवारी में होती थी तबी रसूल आ गए और मुझ से अपनी जांघें खोलने को कहा ,फिर नबी ने अपने गाल मेरी जांघों पर रखे .मैंने उनके सर को जांघों में कास लिया .इस से रसूल को गर्मी मिली और वह उसी हालत में सोते रहे .शायद रसूल को सर्दी लग गयी थी "अबू दाऊद-किताब 1 हदीस 270
12 -औरतें केवल भोग की वस्तु हैं
"औरतें केवल भोगने और मौजमस्ती और आमोद प्रमोद के लिए ही बनी हैं "अबू दाऊद -किताब 11 हदीस 2078
"यदि औरत की सम्भोग की इच्छा भी नहीं हो तब भी पति उस से जबरदस्ती सभोग करने का हकदार है .रसूल ने कहा कि अल्लाह ने औरतों पर मर्दों को फजीलत दे रखी है "अबू दाऊद - किताब 11 हदीस 2044 .
"यदि स्त्री सम्भोग से इंकार करे तो पति उसे पीट कर जबरन सम्भोग कर सकता है "मिश्कात -किताब 6 हदीस 671
"अगर पत्नी गर्भवती भी हो ,तो पति उस से उस हालत में सम्भोग कर सकता है ,चाहे उसकी पत्नी सम्भोग करवाने के लिए कितना भी विरोध करे .पति उस से सम्भोग जरुर करे "अबू दाऊद -किताब 11 हदीस 2153 और 2166 .


13 -मुख मैथुन (Oral Sex )
"आयशा ने कहा कि,रसूल जब रोजे कि हालत में होते थे ,तब भी वह अपना मुंह मेरे मुंह से लगा कर मेरी जीभ को अपने मुंह में लेकर चूसते थे .और मेरा सारा थूक उनके मुंह में चला जाता था "अबू दाऊद-किताब 13 हदीस 2380
"आयशा ने कहा कि रसूल कहते थे कि ,हरेक हालत में आनंद लेना चाहिए .चाहे रोजे के दिन हों "अबू दाऊद किताब 12 हदीस 302 .
"आयशा ने कहा कि रसूल कहते थे कि पुरुष और स्त्री के अंगों में एक प्रकार की शहद होती है ,जब तक स्त्री पुरुष का ,शहद नहीं चखती है ,वह हलाल नहीं मानी जा सकती है .और यही बात पुरुषों पर लागू होती है "सही मुस्लिम -किताब 8 हदीस 3354 .


यह इस्लामी कामसूत्र पढनेके बाद आप अच्छी तरह से समझ गए होंगे कि मुस्लिम ब्लोगर बात बात पर हरेक मुद्दे को सेक्स की ओर क्यों मोड़ देते हैं .और अश्लील शब्दों का क्यों प्रयोग करते हैं .इसमे इनका उतना कसूर नहीं है ,जितना इस कामसूत्र के रचयिता मुहम्मद का हैं .जैसा मुसलमानों के दिमागों में भरा हुआ है ,वैसा ही यह लोग बोलते हैं .


इसमे दी गयी कई मूल हदीसें काफी बड़ी और कहानियों की तरह थीं .जगह की कमी के कारण उन्हें सारांश के रूप में दिया गया है .पूरी हदीसें दी गई साइटों में उपलब्ध है . ذالك الكتاب الجِنس هديً لِلمُسلمين
यह "किताबुल जिन्स" रसूल के वचन हैं ,और मुसलमानों को राह दिखाते हैं .
ऐसे बेनामी क्षद्म मुस्लिम ब्लोगरों को पता होना चाहिए कि हमारे पास जवाब देने के लिए ऐसे लेखों की कोई कमी नहीं है .अभी तो मुहम्मद को बेनकाब किया है .अगली बार उसके समूचे परिवार और रिश्तेदारों की असलियत सब के सामने प्रस्तुत कर दी जायेगी .इंतजार करिए .

http://www.islamreview.com/articles/sexinislam.shtml

Tuesday, January 3, 2012

मुस्लिम प्रेम

गोधरा के बाद मीडिया में जो हंगामा बरपा, वैसा हंगामा कश्मीर के चार लाख हिन्दुओं की मौत और पलायन पर क्यों नहीं होता ?
२. विश्व में लगभग ५२ मुस्लिम देश हैं, एक मुस्लिम देश का नाम बताईये जो हज के लिये "सब्सिडी" देता हो ?
३. एक मुस्लिम देश बताईये जहाँ हिन्दुओं के लिये विशेष कानून हैं, जैसे कि भारत में मुसलमानों के लिये हैं ?
४. एक मुस्लिम देश का नाम बताईये, जहाँ का राष्ट्रपति या प्रधानमन्त्री गैर-मुस्लिम हो ?
५. किसी "मुल्ला" या "मौलवी" का नाम बताईये, जिसने आतंकवादियों के खिलाफ़ फ़तवा जारी किया हो ?
६. महाराष्ट्र, बिहार, केरल जैसे हिन्दू बहुल राज्यों में मुस्लिम मुख्यमन्त्री हो चुके हैं, क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि मुस्लिम बहुल राज्य "कश्मीर" में कोई हिन्दू मुख्यमन्त्री हो सकता है ?
७. १९४७ में आजादी के दौरान पाकिस्तान में हिन्दू जनसंख्या 24% थी, अब वह घटकर 1% रह गई है, उसी समय तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (अब आज का अहसानफ़रामोश बांग्लादेश) में हिन्दू जनसंख्या 30% थी जो अब 7% से भी कम हो गई है । क्या हुआ गुमशुदा हिन्दुओं का ? क्या वहाँ (और यहाँ भी) हिन्दुओं के कोई मानवाधिकार हैं ?
८. जबकि इस दौरान भारत में मुस्लिम जनसंख्या 10.4% से बढकर 14.2% हो गई है, क्या वाकई हिन्दू कट्टरवादी हैं ?
९. यदि हिन्दू असहिष्णु हैं तो कैसे हमारे यहाँ मुस्लिम सडकों पर नमाज पढते रहते हैं, लाऊडस्पीकर पर दिन भर चिल्लाते रहते हैं कि "अल्लाह के सिवाय और कोई शक्ति नहीं है" ?
१०. सोमनाथ मन्दिर के जीर्णोद्धार के लिये देश के पैसे का दुरुपयोग नहीं होना चाहिये ऐसा गाँधीजी ने कहा था, लेकिन 1948 में ही दिल्ली की मस्जिदों को सरकारी मदद से बनवाने के लिये उन्होंने नेहरू और पटेल पर दबाव बनाया, क्यों ?
११. कश्मीर, नागालैण्ड, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय आदि में हिन्दू अल्पसंख्यक हैं, क्या उन्हें कोई विशेष सुविधा मिलती है ?
१२. हज करने के लिये सबसिडी मिलती है, जबकि मानसरोवर और अमरनाथ जाने पर टैक्स देना पड़ता है, क्यों ?
१३. मदरसे और क्रिश्चियन स्कूल अपने-अपने स्कूलों में बाईबल और कुरान पढा सकते हैं, तो फ़िर सरस्वती शिशु मन्दिरों में और बाकी स्कूलों में गीता और रामायण क्यों नहीं पढाई जा सकती ?
१४. किसी एक देश का नाम बताईये, जहाँ ८५% बहुसंख्यकों को "याचना" करनी पडती है, १५% अल्पसंख्यकों को संतुष्ट करने के लिये ?

सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा विधेयक

दंगों में हिन्दू औरत का बलात्कार अपराध नहीं माना जाएगा ?

सोनिया गाँधी के "निजी मनोरंजन क्लब" यानी नेशनल एडवायज़री काउंसिल (NAC) द्वारा सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा विधेयक का मसौदा तैयार किया गया है जिसके प्रमुख बिन्दु इस प्रकार हैं-

1) कानून-व्यवस्था का मामला राज्य सरकार का है, लेकिन इस बिल के अनुसार यदि केन्द्र को "महसूस" होता है तो वह साम्प्रदायिक दंगों की तीव्रता के अनुसार र ाज्य सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप कर सकता है और उसे बर्खास्त कर सकता है…

(इसका मोटा अर्थ यह है कि यदि 100-200 कांग्रेसी अथवा 100-50 जेहादी तत्व किसी राज्य में दंगा फ़ैला दें तो राज्य सरकार की बर्खास्तगी आसानी से की जा सकेगी)…

2) इस प्रस्तावित विधेयक के अनुसार दंगा हमेशा "बहुसंख्यकों" द्वारा ही फ़ैलाया जाता है, जबकि "अल्पसंख्यक" हमेशा हिंसा का लक्ष्य होते हैं…

3) यदि दंगों के दौरान किसी "अल्पसंख्यक" महिला से बलात्कार होता है तो इस बिल में कड़े प्रावधान हैं, जबकि "बहुसंख्यक" वर्ग की महिला का बलात्कार होने की दशा में इस कानून में कुछ नहीं है…

4) किसी विशेष समुदाय (यानी अल्पसंख्यकों) के खिलाफ़ "घृणा अभियान" चलाना भी दण्डनीय अपराध है (फ़ेसबुक, ट्वीट और ब्लॉग भी शामिल)…

5) "अल्पसंख्यक समुदाय" के किसी सदस्य को इस कानून के तहत सजा नहीं दी जा सकती यदि उसने बहुसंख्यक समुदाय के व्यक्ति के खिलाफ़ दंगा अपराध किया है (क्योंकि कानून में पहले ही मान लिया गया है कि सिर्फ़ "बहुसंख्यक समुदाय" ही हिंसक और आक्रामक होता है, जबकि अल्पसंख्यक तो अपनी आत्मरक्षा कर रहा है)…

इस विधेयक के तमाम बिन्दुओं का ड्राफ़्ट तैयार किया है, सोनिया गाँधी की "किचन कैबिनेट" के सुपर-सेकुलर सदस्यों एवं अण्णा को कठपुतली बनाकर नचाने वाले IAS व NGO गैंग के टट्टुओं ने… इस बिल की ड्राफ़्टिंग कमेटी के सदस्यों के नाम पढ़कर ही आप समझ जाएंगे कि यह बिल "क्यों", "किसलिये" और "किसको लक्ष्य बनाकर" तैयार किया गया है…। "माननीय"(?) सदस्यों के नाम इस प्रकार हैं - हर्ष मंदर, अरुणा रॉय, तीस्ता सीतलवाड, राम पुनियानी, जॉन दयाल, शबनम हाशमी, सैयद शहाबुद्दीन… यानी सब के सब एक नम्बर के "छँटे हुए" सेकुलर… । "वे" तो सिद्ध कर ही देंगे कि "बहुसंख्यक समुदाय" ही हमलावर होता है और बलात्कारी भी…

अब यह विधेयक संसद में रखा जाएगा, फ़िर स्थायी समिति के पास जाएगा, तथा अगले लोकसभा चुनाव के ठीक पहले इसे पास किया जाएगा, ताकि मुस्लिम वोटों की फ़सल काटी जा सके तथा भाजपा की राज्य सरकारों पर बर्खास्तगी की तलवार टांगी जा सके…। यह बिल लोकसभा में पास हो ही जाएगा, क्योंकि भाजपा(शायद) के अलावा कोई और पार्टी इसका विरोध नहीं करेगी…। जो बन पड़े उखाड़ लो…

इस विधेयक के प्रमुख बिन्दु आपके सामने पेश कर दिये हैं… ताकि भविष्य में होने वाले दंगों के बाद की "तस्वीर" आपके सामने स्पष्ट हो सके… हिन्दू होने पे गर्व हे.