Friday, January 13, 2012

कुरान मजीद

कुरान मजीद (अनु. मौहम्मद फारुख खां, प्रकाशक मक्तबा अल हस्नात, रामपुर उ.प्र. १९६६)

1- ''फिर, जब हराम के महीने बीत जाऐं, तो 'मुश्रिको' को जहाँ-कहीं पाओ कत्ल करो, और पकड़ो और उन्हें घेरो और हर घातकी जगह उनकी ताक में बैठो। फिर यदि वे 'तौबा' कर लें 'नमाज' कायम करें और, जकात दें तो उनका मार्ग छोड़ दो। निःसंदेह अल्लाह बड़ा क्षमाशील और दया करने वाला है।'' (पा० १०, सूरा. ९, आयत ५,२ख पृ. ३६८)
2- ''हे 'ईमान' लाने वालो! 'मुश्रिक' (मूर्तिपूजक) नापाक हैं।'' (१०.९.२८ पृ. ३७१)
3- ''निःसंदेह 'काफिर तुम्हारे खुले दुश्मन हैं।'' (५.४.१०१. पृ. २३९)
4- ''हे 'ईमान' लाने वालों! (मुसलमानों) उन 'काफिरों' से लड़ो जो तुम्हारे आस पास हैं, और चाहिए कि वे तुममें सखती पायें।'' (११.९.१२३ पृ. ३९१)
5- ''जिन लोगों ने हमारी ''आयतों'' का इन्कार किया, उन्हें हम जल्द अग्नि में झोंक देंगे। जब उनकी खालें पक जाएंगी तो हम उन्हें दूसरी खालों से बदल देंगे ताकि वे यातना का रसास्वादन कर लें। निःसन्देह अल्लाह प्रभुत्वशाली तत्वदर्शी हैं'' (५.४.५६ पृ. २३१)
5- ''हे 'ईमान' लाने वालों! (मुसलमानों) अपने बापों और भाईयों को अपना मित्र मत बनाओ यदि वे ईमान की अपेक्षा 'कुफ्र' को पसन्द करें। और तुम में से जो कोई उनसे मित्रता का नाता जोड़ेगा, तो ऐसे ही लोग जालिम होंगे'' (१०.९.२३ पृ. ३७०)
7- ''अल्लाह 'काफिर' लोगों को मार्ग नहीं दिखाता'' (१०.९.३७ पृ. ३७४)
8- ''हे 'ईमान' लाने वालो! उन्हें (किताब वालों) और काफिरों को अपना मित्र बनाओ। अल्ला से डरते रहो यदि तुम 'ईमान' वाले हो।'' (६.५.५७ पृ. २६८)
9- ''फिटकारे हुए, (मुनाफिक) जहां कही पाए जाऐंगे पकड़े जाएंगे और बुरी तरह कत्ल किए जाएंगे।'' (२२.३३.६१ पृ. ७५९)
10- ''(कहा जाऐगा): निश्चय ही तुम और वह जिसे तुम अल्लाह के सिवा पूजते थे 'जहन्नम' का ईधन हो। तुम अवश्य उसके घाट उतरोगे।''
11- 'और उस से बढ़कर जालिम कौन होगा जिसे उसके 'रब' की आयतों के द्वारा चेताया जाये और फिर वह उनसे मुँह फेर ले। निश्चय ही हमें ऐसे अपराधियों से बदला लेना है।'' (२१.३२.२२ पृ. ७३६)
12- 'अल्लाह ने तुमसे बहुत सी 'गनीमतों' का वादा किया है जो तुम्हारे हाथ आयेंगी,'' (२६.४८.२० पृ. ९४३)
13- ''तो जो कुछ गनीमत (का माल) तुमने हासिल किया है उसे हलाल व पाक समझ कर खाओ'' (१०.८.६९. पृ. ३५९)
14- ''हे नबी! 'काफिरों' और 'मुनाफिकों' के साथ जिहाद करो, और उन पर सखती करो और उनका ठिकाना 'जहन्नम' है, और बुरी जगह है जहाँ पहुँचे'' (२८.६६.९. पृ. १०५५)
15- 'तो अवश्य हम 'कुफ्र' करने वालों को यातना का मजा चखायेंगे, और अवश्य ही हम उन्हें सबसे बुरा बदला देंगे उस कर्म का जो वे करते थे।'' (२४.४१.२७ पृ. ८६५)
16- ''यह बदला है अल्लाह के शत्रुओं का ('जहन्नम' की) आग। इसी में उनका सदा का घर है, इसके बदले में कि हमारी 'आयतों' का इन्कार करते थे।'' (२४.४१.२८ पृ. ८६५)
17- ''निःसंदेह अल्लाह ने 'ईमानवालों' (मुसलमानों) से उनके प्राणों और उनके मालों को इसके बदले में खरीद लिया है कि उनके लिए 'जन्नत' हैः वे अल्लाह के मार्ग में लड़ते हैं तो मारते भी हैं और मारे भी जाते हैं।'' (११.९.१११ पृ. ३८८)
18- ''अल्लाह ने इन 'मुनाफिक' (कपटाचारी) पुरुषों और मुनाफिक स्त्रियों और काफिरों से 'जहन्नम' की आग का वादा किया है जिसमें वे सदा रहेंगे। यही उन्हें बस है। अल्लाह ने उन्हें लानत की और उनके लिए स्थायी यातना है।'' (१०.९.६८ पृ. ३७९)
19- ''हे नबी! 'ईमान वालों' (मुसलमानों) को लड़ाई पर उभारो। यदि तुम में बीस जमे रहने वाले होंगे तो वे दो सौ पर प्रभुत्व प्राप्त करेंगे, और यदि तुम में सौ हो तो एक हजार काफिरों पर भारी रहेंगे, क्योंकि वे ऐसे लोग हैं जो समझबूझ नहीं रखते।'' (१०.८.६५ पृ. ३५८)
20- ''हे 'ईमान' लाने वालों! तुम यहूदियों और ईसाईयों को मित्र न बनाओ। ये आपस में एक दूसरे के मित्र हैं। और जो कोई तुम में से उनको मित्र बनायेगा, वह उन्हीं में से होगा। निःसन्देह अल्लाह जुल्म करने वालों को मार्ग नहीं दिखाता।'' (६.५.५१ पृ. २६७)
21- ''किताब वाले'' जो न अल्लाह पर ईमान लाते हैं न अन्तिम दिन पर, न उसे 'हराम' करते हैं जिसे अल्लाह और उसके रसूल ने हराम ठहराया है, और न सच्चे दीन को अपना 'दीन' बनाते हैं उनकसे लड़ो यहाँ तक कि वे अप्रतिष्ठित (अपमानित) होकर अपने हाथों से 'जिजया' देने लगे।'' (१०.९.२९. पृ. ३७२)
22- २२ ''.......फिर हमने उनके बीच कियामत के दिन तक के लिये वैमनस्य और द्वेष की आग भड़का दी, और अल्लाह जल्द उन्हें बता देगा जो कुछ वे करते रहे हैं। (६.५.१४ पृ. २६०)
23- ''वे चाहते हैं कि जिस तरह से वे काफिर हुए हैं उसी तरह से तुम भी 'काफिर' हो जाओ, फिर तुम एक जैसे हो जाओः तो उनमें से किसी को अपना साथी न बनाना जब तक वे अल्लाह की राह में हिजरत न करें, और यदि वे इससे फिर जावें तो उन्हें जहाँ कहीं पाओं पकड़ों और उनका वध (कत्ल) करो। और उनमें से किसी को साथी और सहायक मत बनाना।'' (५.४.८९ पृ. २३७)
24- ''उन (काफिरों) से लड़ों! अल्लाह तुम्हारे हाथों उन्हें यातना देगा, और उन्हें रुसवा करेगा और उनके मुकाबले में तुम्हारी सहायता करेगा, और 'ईमान' वालों लोगों के दिल ठंडे करेगा'' (१०.९.१४. पृ. ३६९)
उपरोक्त आयतों से स्पष्ट है कि इनमें ईर्ष्या, द्वेष, घृणा, कपट, लड़ाई-झगड़ा, लूटमार और हत्या करने के आदेश मिलते हैं। इन्हीं कारणों से देश व विश्व में मुस्लिमों व गैर मुस्लिमों के बीच दंगे हुआ करते हैं।

Tuesday, January 10, 2012

रसूल लीला :इस्लामी कामसूत्र !!

बी.एन. शर्मा
प्रस्‍तुतिः डॉ0 संतोष राय

कुछ दिनों से देखा जा रहा है कि मुस्लिम ब्लोगर जब कोई तर्कपूर्ण समुचित जवाब देने में असफल हो गए हैं ,तो बेनाम के भेस में अश्लील कमेन्ट करने लगे हैं .और इस्लाम का असली घिनावना रूप दिखा रहे है .इस से मुझे कोई ताज्जुब नहीं हो रहा है .असल में यह लोग मुहम्मद की सुन्नत का पालन कर रहे .मुहम्मद जैसा था ,और जैसी उसकी शिक्षा थी वही गन्दगी मुसलमानों के दिमागों में भरी हुई थी .यद्यपि मैंने यह लेख काफी पहले तय्यार कर लिया था .लेकिन इन बेनामी मुस्लिम ब्लोगरों ने इसे प्रकाशित करने का अवसर दे दिया .
यह बात तो सर्वविदित है कि मुहम्मद एक अय्याश व्यक्ति था .लेकिन वह सेक्स गुरु भी था .वह मुसलमानों को सेक्स के नये नए तरीके सिखाता रहता था .ताकि मुसलमान उसका अनुकरण करके वैसा ही करें .क्योंकि जिहादियों को क्रूर होने के साथ साथ अय्याश होना भी जरुरी है .अगर इस दुनिया में अय्याशी नहीं करेंगे तो ,मर कर जन्नत में अय्याशी कैसे करेंगे .यही इस्लाम का आधार और मुसलमानों का एकमात्र लक्ष्य है .
यद्यपि मुहम्मद ने सेक्स के बारे में कोई अलग से किताब नहीं लिखी है ,परन्तु उसने जो भी आय्याशियाँ कि हैं ,वे सब हदीसों में मौजूद हैं .उन से छांट कर यह इस्लामी कामसूत्र الكِتاب الجِنس الاسلاميه प्रस्तुत किया जा रहा है .इसमे प्रारम्भ से अंत तक इस्लामी सेक्स की जानकारी है .यह ज्ञान मुस्लिम महिलाओं के लिए अवश्य उपयोगी होगा . " فقط للنساء المسلمات "केवल मुस्लिम महिलाओं के लिए !

1 -सेक्स की तय्यारी कैसे करें
"औरतें अपने जिहादी पतियों के घर में आने से पहिले अपने निचे के बाल(Pubic Hair )साफ़ करके रखें ".बुखारी -जिल्द 7 किताब 62 हदीस 173
"मुस्लिम औरतें अपनी योनी और बगल के बाल साफ करके तय्यार रहें "बुखारी -जिल्द 7 किताब 72 हदीस 177
2 -सेक्स के लिए सदा तय्यार रहें
"यदि कोई औरत घर के काम में व्यस्त हो ,और उसका जिहादी पति उसे सेक्स के लिए बुलाये तो ,औरत को चाहिए कि सब काम छोड़कर तुरंत ही वहीँ पर सम्भोग करवा ले "मुस्लिम -किताब 8 हदीस 3240
"सम्भोग करना जरुरी है ,चाहे तुम्हारी पत्नी राजी हो या नहीं ."मुस्लिम -किताब 3 हदीस 677 और 680
3 -छातियाँ मसलवाना(Breastpresing )
"अबू मूसा बिन अशरी ने कहा कि मैं अपनी पत्नी की छातियाँ दबाकर उसका दूध पीता हूँ .मुझे लगा कि यह हराम है .फिर अब्दुल्लाह बिन मसूद ने रसूल से पूछा तो रसूल ने कहा कि यह काम जायज है "मुवत्ता-किताब 30 हदीस 214
"याहया बिन मालिक ने कहा कि मैं अपनी पत्नी के स्तनों से दूध पीता हूँ ,क्या यह हराम है .तब अबू मूसने कहा कि इसे रसूल ने जायज कहा है .और मैं दो सालों से यही कर रहा हूँ "मलिक मुवत्ता -किताब 30 हदीस 215
4 -कुंवारी लड़कियाँ सेक्स के लिए उत्तम हैं
"अल्लाह की नजर में कुंवारी और अक्षत योनी लड़कियाँ उत्तम होती है "बुखारी -जिल्द 7 किताब 62 हदीस 16
"कुँवारी लड़कियाँ सेक्स के लिए श्रेष्ठ होती हैं "बुखारी -जिल्द 38 हदीस 504 .
"रसूल ने कहा कि ,कुंवारी कन्या के साथ सम्भोग करने में अधिक आनंद आता है "मुस्लिम -किताब 8 हदीस 3459 .
5 -औरत की माहवारी में सम्भोग की विधि
"आयशा नेकहा कि ,रसूल उस समय भी सम्भोग करते थे जब मैं माहवारी में होती थी "बुखारी -जिल्द 3 किताब 33 हदीस 247
"रसूल ने कहा कि ,तुम औरतों से मास्क के समय भी सम्भोग कर सकते हो "अबू दाऊद-किताब 1 हदीस 270
"मासिक के समय किसी भी औरत के साथ सम्भोग करना हलाल है "अबूदाऊद -किताब 1 हदीस 212
"अगर कोई गलती से पत्नी के आलावा किसी ऐसी स्त्री से सम्भोग करे ,जो मासिक से हो ,तो उसे प्रायश्चित के लिए आधा दीनार खैरात कर देना चाहिए"
"अबू दाऊद -किताब 11 हदीस 2164
"और अगर अपनी पत्नी से उसकी मासिक के समय सम्भोग करे तो ,सदके के तौर पर एक दीनार दे देना चाहिए "
.अबू दाऊद -किताब 1 हदीस 264 और 302
"यदि स्त्री की योनी से मासिक स्राव अधिक बह रहा हो तो ,पहिले योनी से स्राव को साफ कर लें ,फिर तेल लगा कर सम्भोग करें .यही तरिका रसूल ने बताया है.
"सही मुस्लिम -किताब 3 हदीस 647 .
"आयशा ने कहा कि,जब भी मैं मासिक में होती थी रसूल मेरी योनी से स्राव साफ करके सम्भोग किया करते थे "
मुस्लिम -किताब 3 हदीस 658
6 -सम्भोग के बाद गुस्ल जरूरी नहीं
"आयशा ने कहा कि रसूल सम्भोग के बाद बिना गुस्ल किये ही मेरे साथ उसी हालत में सो जाते थे" .अबू दाऊद-किताब 1 हदीस 42
"आयशा ने बताया कि ,जब रसूल और मैं सम्भोग के बाद गंदे हो जाते थे ,तो रासुल्बिना पानी छुए ही मेरे पास सो जाते थे ..और उठकर नमाज के लिए चले जाते थे ".अबू दाऊद -किताब 1 हदीस 42
"आयशा ने कहा कि ,जब सम्भोग के बाद एअसुल गंदे हो जाते थे ,तो उसी हालत में सो जाते थे ,फिर बाद में उठ जाने पर बाजार या नमाज के लिए चले जाते थे .उनके पापड़ों पर वीर्य के दाग साफ दिखाई देते थे ,"अबू दाऊद -किताब 1 हदीस 228
"आयशा ने कहा कि ,जब सम्भोग के बाद रसूल के कपड़ों पर वीर्य सुख जाता था .और दाग पड़ जाता था तो मैं अपने नाखूनों से वीर्य के दागों को खुरच देती थी .रसूल वही कपडे पहिन कर नमाज के लिए चले जाते थे "अबू दाऊद -किताब 11 हदीस 2161
7 -वीर्य का स्वाद और रंग
"अनस बिन मलिक कहा कि रसूल ने उम्म सलेम को बताया कि पुषों के वीर्य का रंग सफ़ेद होता है और गाढ़ा होता है .और बेस्वाद होता है .लेकिन स्त्री का वीर्य पतला ,पीला और तल्ख़ होता है "अबू दाऊद -किताब 3 हदीस 608
"उम्म सलेम ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि स्त्रियों कि योनी से हमेशा एक स्राव निकलता रहता है .जिसका रंग पीला होता है .रसूल ने फिर कहा कि मुझे यह बात कहने कोई शर्म नहीं है कि , योनी के स्राव का स्वाद तल्ख़ और तीखा होता है "अबू दाऊद -किताब 3 हदीस 610 .
8 -माँ बेटी से एक साथ सम्भोग
"याह्या बिन मलिक की रवायत है कि उबैदुल्ला इब्न उतवा इब्न मसूद ने कहा कि उमर बिन खत्ताब ने जिहाद में एक माँ और बेटी को पकड़ लिया .और रसूल से पूछा क्या हम इन से एक एक करके सम्भोग करें या अलग अलग ,रसूल ने कहा की तुम दौनों से एक ही समय सम्भोग कर सकते हो .इसकी अनुमति है .लेकिन मैं इसे नापसंद करता हूँ "मलिक मुवत्ता-किताब 28 हदीस 1433
9 -वेश्या गमन
"रसूल ने कहा कि जिहाद के समय मुसलमान एक रात केलिए भी शादी कर सकते हैं "मुस्लिम -किताब 8 हदीस 3253
10 -कुतिया आसन(Doggy style )
"जाबिर बिन अब्दुल्लाह ने रसूल से कहा कि एक यहूदी अपनी पत्नी की योनी में पीछे से लिंग प्रवेश करता है .क्या बुरी बात है .रसूल ने कहा की इसमे कोई हर्ज नहीं है ."मुस्लिम -किताब 8 हदीस 3364
"अबू जुहरी ने कहा की रसूल ने कहा कि,तुम चाहे औरतों से आगे से सम्भोग करो चाहे पीछे से ,परन्तु लिंग योनी के अन्दर ही प्रवेश होना चाहिए .नहीं तो संतान भेंगी होती है "मुस्लिम -किताब 8 हदीस 3365
11 -जंघा मैथुन (Thighing )
"आयशा ने कहा कि ,जिस समय मैं माहवारी में होती थी तबी रसूल आ गए और मुझ से अपनी जांघें खोलने को कहा ,फिर नबी ने अपने गाल मेरी जांघों पर रखे .मैंने उनके सर को जांघों में कास लिया .इस से रसूल को गर्मी मिली और वह उसी हालत में सोते रहे .शायद रसूल को सर्दी लग गयी थी "अबू दाऊद-किताब 1 हदीस 270
12 -औरतें केवल भोग की वस्तु हैं
"औरतें केवल भोगने और मौजमस्ती और आमोद प्रमोद के लिए ही बनी हैं "अबू दाऊद -किताब 11 हदीस 2078
"यदि औरत की सम्भोग की इच्छा भी नहीं हो तब भी पति उस से जबरदस्ती सभोग करने का हकदार है .रसूल ने कहा कि अल्लाह ने औरतों पर मर्दों को फजीलत दे रखी है "अबू दाऊद - किताब 11 हदीस 2044 .
"यदि स्त्री सम्भोग से इंकार करे तो पति उसे पीट कर जबरन सम्भोग कर सकता है "मिश्कात -किताब 6 हदीस 671
"अगर पत्नी गर्भवती भी हो ,तो पति उस से उस हालत में सम्भोग कर सकता है ,चाहे उसकी पत्नी सम्भोग करवाने के लिए कितना भी विरोध करे .पति उस से सम्भोग जरुर करे "अबू दाऊद -किताब 11 हदीस 2153 और 2166 .


13 -मुख मैथुन (Oral Sex )
"आयशा ने कहा कि,रसूल जब रोजे कि हालत में होते थे ,तब भी वह अपना मुंह मेरे मुंह से लगा कर मेरी जीभ को अपने मुंह में लेकर चूसते थे .और मेरा सारा थूक उनके मुंह में चला जाता था "अबू दाऊद-किताब 13 हदीस 2380
"आयशा ने कहा कि रसूल कहते थे कि ,हरेक हालत में आनंद लेना चाहिए .चाहे रोजे के दिन हों "अबू दाऊद किताब 12 हदीस 302 .
"आयशा ने कहा कि रसूल कहते थे कि पुरुष और स्त्री के अंगों में एक प्रकार की शहद होती है ,जब तक स्त्री पुरुष का ,शहद नहीं चखती है ,वह हलाल नहीं मानी जा सकती है .और यही बात पुरुषों पर लागू होती है "सही मुस्लिम -किताब 8 हदीस 3354 .


यह इस्लामी कामसूत्र पढनेके बाद आप अच्छी तरह से समझ गए होंगे कि मुस्लिम ब्लोगर बात बात पर हरेक मुद्दे को सेक्स की ओर क्यों मोड़ देते हैं .और अश्लील शब्दों का क्यों प्रयोग करते हैं .इसमे इनका उतना कसूर नहीं है ,जितना इस कामसूत्र के रचयिता मुहम्मद का हैं .जैसा मुसलमानों के दिमागों में भरा हुआ है ,वैसा ही यह लोग बोलते हैं .


इसमे दी गयी कई मूल हदीसें काफी बड़ी और कहानियों की तरह थीं .जगह की कमी के कारण उन्हें सारांश के रूप में दिया गया है .पूरी हदीसें दी गई साइटों में उपलब्ध है . ذالك الكتاب الجِنس هديً لِلمُسلمين
यह "किताबुल जिन्स" रसूल के वचन हैं ,और मुसलमानों को राह दिखाते हैं .
ऐसे बेनामी क्षद्म मुस्लिम ब्लोगरों को पता होना चाहिए कि हमारे पास जवाब देने के लिए ऐसे लेखों की कोई कमी नहीं है .अभी तो मुहम्मद को बेनकाब किया है .अगली बार उसके समूचे परिवार और रिश्तेदारों की असलियत सब के सामने प्रस्तुत कर दी जायेगी .इंतजार करिए .

http://www.islamreview.com/articles/sexinislam.shtml

Tuesday, January 3, 2012

मुस्लिम प्रेम

गोधरा के बाद मीडिया में जो हंगामा बरपा, वैसा हंगामा कश्मीर के चार लाख हिन्दुओं की मौत और पलायन पर क्यों नहीं होता ?
२. विश्व में लगभग ५२ मुस्लिम देश हैं, एक मुस्लिम देश का नाम बताईये जो हज के लिये "सब्सिडी" देता हो ?
३. एक मुस्लिम देश बताईये जहाँ हिन्दुओं के लिये विशेष कानून हैं, जैसे कि भारत में मुसलमानों के लिये हैं ?
४. एक मुस्लिम देश का नाम बताईये, जहाँ का राष्ट्रपति या प्रधानमन्त्री गैर-मुस्लिम हो ?
५. किसी "मुल्ला" या "मौलवी" का नाम बताईये, जिसने आतंकवादियों के खिलाफ़ फ़तवा जारी किया हो ?
६. महाराष्ट्र, बिहार, केरल जैसे हिन्दू बहुल राज्यों में मुस्लिम मुख्यमन्त्री हो चुके हैं, क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि मुस्लिम बहुल राज्य "कश्मीर" में कोई हिन्दू मुख्यमन्त्री हो सकता है ?
७. १९४७ में आजादी के दौरान पाकिस्तान में हिन्दू जनसंख्या 24% थी, अब वह घटकर 1% रह गई है, उसी समय तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (अब आज का अहसानफ़रामोश बांग्लादेश) में हिन्दू जनसंख्या 30% थी जो अब 7% से भी कम हो गई है । क्या हुआ गुमशुदा हिन्दुओं का ? क्या वहाँ (और यहाँ भी) हिन्दुओं के कोई मानवाधिकार हैं ?
८. जबकि इस दौरान भारत में मुस्लिम जनसंख्या 10.4% से बढकर 14.2% हो गई है, क्या वाकई हिन्दू कट्टरवादी हैं ?
९. यदि हिन्दू असहिष्णु हैं तो कैसे हमारे यहाँ मुस्लिम सडकों पर नमाज पढते रहते हैं, लाऊडस्पीकर पर दिन भर चिल्लाते रहते हैं कि "अल्लाह के सिवाय और कोई शक्ति नहीं है" ?
१०. सोमनाथ मन्दिर के जीर्णोद्धार के लिये देश के पैसे का दुरुपयोग नहीं होना चाहिये ऐसा गाँधीजी ने कहा था, लेकिन 1948 में ही दिल्ली की मस्जिदों को सरकारी मदद से बनवाने के लिये उन्होंने नेहरू और पटेल पर दबाव बनाया, क्यों ?
११. कश्मीर, नागालैण्ड, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय आदि में हिन्दू अल्पसंख्यक हैं, क्या उन्हें कोई विशेष सुविधा मिलती है ?
१२. हज करने के लिये सबसिडी मिलती है, जबकि मानसरोवर और अमरनाथ जाने पर टैक्स देना पड़ता है, क्यों ?
१३. मदरसे और क्रिश्चियन स्कूल अपने-अपने स्कूलों में बाईबल और कुरान पढा सकते हैं, तो फ़िर सरस्वती शिशु मन्दिरों में और बाकी स्कूलों में गीता और रामायण क्यों नहीं पढाई जा सकती ?
१४. किसी एक देश का नाम बताईये, जहाँ ८५% बहुसंख्यकों को "याचना" करनी पडती है, १५% अल्पसंख्यकों को संतुष्ट करने के लिये ?

सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा विधेयक

दंगों में हिन्दू औरत का बलात्कार अपराध नहीं माना जाएगा ?

सोनिया गाँधी के "निजी मनोरंजन क्लब" यानी नेशनल एडवायज़री काउंसिल (NAC) द्वारा सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा विधेयक का मसौदा तैयार किया गया है जिसके प्रमुख बिन्दु इस प्रकार हैं-

1) कानून-व्यवस्था का मामला राज्य सरकार का है, लेकिन इस बिल के अनुसार यदि केन्द्र को "महसूस" होता है तो वह साम्प्रदायिक दंगों की तीव्रता के अनुसार र ाज्य सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप कर सकता है और उसे बर्खास्त कर सकता है…

(इसका मोटा अर्थ यह है कि यदि 100-200 कांग्रेसी अथवा 100-50 जेहादी तत्व किसी राज्य में दंगा फ़ैला दें तो राज्य सरकार की बर्खास्तगी आसानी से की जा सकेगी)…

2) इस प्रस्तावित विधेयक के अनुसार दंगा हमेशा "बहुसंख्यकों" द्वारा ही फ़ैलाया जाता है, जबकि "अल्पसंख्यक" हमेशा हिंसा का लक्ष्य होते हैं…

3) यदि दंगों के दौरान किसी "अल्पसंख्यक" महिला से बलात्कार होता है तो इस बिल में कड़े प्रावधान हैं, जबकि "बहुसंख्यक" वर्ग की महिला का बलात्कार होने की दशा में इस कानून में कुछ नहीं है…

4) किसी विशेष समुदाय (यानी अल्पसंख्यकों) के खिलाफ़ "घृणा अभियान" चलाना भी दण्डनीय अपराध है (फ़ेसबुक, ट्वीट और ब्लॉग भी शामिल)…

5) "अल्पसंख्यक समुदाय" के किसी सदस्य को इस कानून के तहत सजा नहीं दी जा सकती यदि उसने बहुसंख्यक समुदाय के व्यक्ति के खिलाफ़ दंगा अपराध किया है (क्योंकि कानून में पहले ही मान लिया गया है कि सिर्फ़ "बहुसंख्यक समुदाय" ही हिंसक और आक्रामक होता है, जबकि अल्पसंख्यक तो अपनी आत्मरक्षा कर रहा है)…

इस विधेयक के तमाम बिन्दुओं का ड्राफ़्ट तैयार किया है, सोनिया गाँधी की "किचन कैबिनेट" के सुपर-सेकुलर सदस्यों एवं अण्णा को कठपुतली बनाकर नचाने वाले IAS व NGO गैंग के टट्टुओं ने… इस बिल की ड्राफ़्टिंग कमेटी के सदस्यों के नाम पढ़कर ही आप समझ जाएंगे कि यह बिल "क्यों", "किसलिये" और "किसको लक्ष्य बनाकर" तैयार किया गया है…। "माननीय"(?) सदस्यों के नाम इस प्रकार हैं - हर्ष मंदर, अरुणा रॉय, तीस्ता सीतलवाड, राम पुनियानी, जॉन दयाल, शबनम हाशमी, सैयद शहाबुद्दीन… यानी सब के सब एक नम्बर के "छँटे हुए" सेकुलर… । "वे" तो सिद्ध कर ही देंगे कि "बहुसंख्यक समुदाय" ही हमलावर होता है और बलात्कारी भी…

अब यह विधेयक संसद में रखा जाएगा, फ़िर स्थायी समिति के पास जाएगा, तथा अगले लोकसभा चुनाव के ठीक पहले इसे पास किया जाएगा, ताकि मुस्लिम वोटों की फ़सल काटी जा सके तथा भाजपा की राज्य सरकारों पर बर्खास्तगी की तलवार टांगी जा सके…। यह बिल लोकसभा में पास हो ही जाएगा, क्योंकि भाजपा(शायद) के अलावा कोई और पार्टी इसका विरोध नहीं करेगी…। जो बन पड़े उखाड़ लो…

इस विधेयक के प्रमुख बिन्दु आपके सामने पेश कर दिये हैं… ताकि भविष्य में होने वाले दंगों के बाद की "तस्वीर" आपके सामने स्पष्ट हो सके… हिन्दू होने पे गर्व हे.