Monday, February 13, 2012

"वेलनटाईन डे" का सच ......

पाश्चात्य साहित्य में ऐसा कहा जाता है की वेलनटाईन और प्रेम का दूर दूर तक कोई ताल्लुक नहीं आता फिर भी दुनिया में वेलनटाईन को प्रेम से जोड़कर देखा जाता है या कहे तो जबरदस्ती जोड़ कर रखा गया है इसके पीछे के कही कारन है पर पहले वेलनटाईन शब्द किससे सम्बंधित है उसको जान ले ..........
वेलनटाईन ऑफ़ रोम (इसवी सदी २६९ ) और वेलनटाईन ऑफ़ टर्नी (इसवी सदी १९७ )ऐसे दो संत होकर गए यूरोप में ,वेलनटाईन ऑफ़ रोम जो रोम में संत थे और वेलनटाईन ऑफ़ टर्नी आगे जाकर बिशॉप बने यूरोप में एक चर्च के जिनका प्रेम या उससे जुड़े कोई घटना से कोई सम्बन्ध नहीं था .....
तीसरे वेलनटाईन नाम के संत होकर गए अफ्रीका में वह भी धर्म प्रचारक ही थे उनका भी कोई सम्बन्ध नहीं रहा था प्रेम या प्यार नाम की चिड़िया से .........
पाश्चात्य ग्रंतो में एक और वेलनटाईन नाम के संत का उल्लेख होता है रोमन साम्राज्य के राजा क्लौड़ीयस द्वितीय के काल में ,ऐसा कहते है की रोमन साम्राज्य के राजा क्लौड़ीयस द्वितीय अपनी सेना के सैनिको के लिए ऐसा कानून बनाकर रखा था जिससे कोई सैनिक शादी नहीं कर सकता था कारन अगर सैनिक का परिवार होगा तो वो सभी लढाइयो में ध्यान नहीं दे पायेगा और उस राजा को सभी लढाइयो को जितने की महत्वाकांक्षा थी जिसके वजह से कोई भी सैनिक शादी नहीं करता अगर कोई सैनिक शादी करता तो उसे कठोर दंड दिया जाता पर उन सैनिको के लिए अपनी शारीरिक भूक मिटने के लिए वेश्याओ का प्रबंद जरुर किया जाता ,इसी दरम्यान इस चौथे वेलनटाईन नाम के संत का नाम आगे आया जिसपर आरोप लगाये गए थे की यह संत सैनिको की शादी करवाता था इसलिए राजा क्लौदियास ने इस संत को मौत की सजा सुनवाई थी पर इसके पीछे का सच भी कुछ और है की राजा क्लौदियास इस संत को रोमन पगानिस्म धर्म में धर्मान्तरित होने को कह रहा था जो खुद राजा का धर्म था पर इस काथलिक संत ने मना किया इसलिए उसे मौत के घाट उतारा और उसे सैनिको की शादी करवाने का झुटा आरोप लगा कर मार दिया गया ,इससे भी साबित होता है की इस संत का भी प्रेम या प्यार से कोई भी सम्बन्ध नहीं था ........
एक और सन्दर्भ आता है वेलनटाईन डे का ,यूरोप में फरवरी मध्य में पंछियों के मिलन का वक़्त होता जिससे पंची ब्रीडिंग करते है और अंडे देते है ,इसका भी मानवी संस्कृति का कोई सम्बन्ध नहीं आता है ......पंछियों के मिलन का और इन्सान के मिलन की कोई तुलना नहीं हो सकती .......

ये तो हुए वेलनटाईन नाम के किसी व्यक्ति या घटना से जुड़ा सच पर असली सच तो अभी बाकि है ..
वेलनटाईन डे शब्द असल में आता है फरवरी के बिच महीने में पक्षियों के मिलन का वक़्त पर यह वक़्त यूरोप के कुदरती वातावरण ,मौसम के अनुसार ही होता है इसका यूरोप छोड़कर किसी और जगह के मौसम से कोई सम्बन्ध नहीं है ........१७४७ में इंग्लैंड में एक प्रकाशक ने कुछ ऐसे ग्रीटिंग कार्ड बनाये जिससे बगैर कहे भी उस कार्ड के द्वारा अपनी भावना या विचार व्यक्त हो उस प्रकाशन कंपनी ने उसका नाम रखा था "द यंग म्य़ान्स वेलनटाईन राईटर " असल में यहाँ से शुरू हुआ था वेलनटाईन डे का प्रचालन जो पूरी दुनिया में फैलाया गया था जिसका असल उधेश्य सिर्फ और सिर्फ ग्रीटिंग कार्ड्स बेचना था साथ में रिबन और फूलो का भी व्यापर इसी तरह फैलाया गया ....
असलियत में प्रेम या शब्द अति संवेधन्शील और भावनात्मक होने के कारन दुनिया में युवा अवस्था के लोग झट से आकर्षित होते है इसलिए इसको व्यापार के तौर पर भरपूर अजमाया गया और इसमें आज भी सफलता मिल रही है व्यापारियों को ....
इसीतरह और भी डे का प्रचालन शुरू करके पाश्चात्य व्यापारियों ने दुनिया के युवाओ को पागल बना रखा है .....
इससे यह साबित होता है की भले यह व्यापार है पर इसका प्रचालन पाश्चात्य संस्कृति में हुआ था मगर इसे व्यापार के तौर पर दुनिया में फैला कर दुनिया के अलग अलग संस्कृतियों को भ्रष्ट करने का काम किया गया और भारत बड़ा बाजार है इसलिए जोरशोर से भारत में भी फैलाकर वैभवशाली और पुरातन भारतीय संस्कृति पर अतिक्रमण किया गया है यह सभी भारतीय जान ले ...........

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