Tuesday, May 22, 2012

मैं उस दोगले विचार वाले हिंदू से पूछना चाहता हूँ कि जब अपने भाई से बँटवारे के बाद अपने सगे भाई के किसी जरूरत को पूरा करने का दायित्व निभाना नहीं चाहते हो तो आखिर एक मुस्लिम के लिए अपने जुबान से भाईचारा की बात क्यों करते हो!!

तुम मत विरोध करो मुस्लिमों को अपनी कायरता को चुप रहकर भी हिंदुत्व से वफादारी निभा सकते हो परंतु गाँधी जैसे कुछ दोहरे विचार वाले को सम्मान पाते देख हर कायर हिंदु खुद को इंसान साबित करने के लिए अपनी माँ बहन को जोधा बनाने को व्याकुल है..

मुस्लिम जो खुद का सगा नहीं है वो तुम्हारा क्या होगा..
नहीं जानते हो तो जानो गणेश शंकर विद्यार्थी जी को भी धर्मनिरपेक्षता के कुत्ते ने काटा था,
बस मौत का साधन मुस्लिम बना था !
शर्म करो धर्मनिरपेक्षी हिंदुओं !!!

कुबुद्धिजीवी लोग क्यों हिंदू-मुस्लिम एकता की बात करते हैं, क्यों हिंदू-मुस्लिम भाई भाई और गंगा जमनी तहजीब की बात करते हैं........जबकियह दूर दूर तक संभव ही नहीं है.

जब भाई भाई थे तो पाकिस्तान क्यों बना ?

जब भाई भाई थे तो कश्मीरी पंडितों का पलायन और नरसंहार क्यों हुआ?

क्या कभी सूरज और चाँद एक हो सकते हैं ?

क्या कभी गाय को माता मानने वाले और दूसरी तरफ गाय का क़त्ल करने वालों में एकता हो सकती है ?

इस्लाम के अतिरिक्त हर धर्म के उपासक को काफिर मानने वालों से एकता हो सकती है ?

राम और चाणक्य के वंशज और लादेन के उपासक क्या एक हो सकते हैं ?

भारत के वंशज जिसके राष्ट्र ने पिछले १० हजार साल में किसी राष्ट्र पर आक्रमण नहीं किया और और इस्लाम जिसके संस्थापक ही लूटपाट, आतंकवाद, धार्मिक कट्टरता, और निर्दोष लोगों के क़त्ल के हिमायती हैं, उनके मध्य एकता हो सकती है ?

हिंदू धर्म जिसमें जीवन का लक्ष्य मोक्ष होता है...........इस्लाम मरने के बाद भी जन्नत की हूरों के साथ संसर्ग और शराब की नदियों में गोता लगाना होता है, के बीच में एकता हो सकती है ?

भारत माता के लिए सिर कटाने वाले और भारत माता को डायन कहने वाले के बीच एकता हो सकती है ?

इस देश का खाते हैं और कसीदे अरब मुल्कों के पढते हैं, के साथ एकता हो सकती है ?
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हिंदू भाइयों मान लो इस बात को जो संभव ही नहीं है.
शर्म करो धर्मनिरपेक्षी हिंदुओं !!!

(रूपेश मणि सिंह

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