Sunday, June 23, 2013

सेना को पूरे दिन ईधन का इंतजार करना पड़ा।

जब कुदरत के कहर की मार झेल रहे हजारों लोगों की जान आफत में है तब राहत व बचाव के लिए भेजी गई सेना को पूरे दिन ईधन का इंतजार करना पड़ा। इसके चलते शुक्रवार को महज छह अमेरिकी पर्यटकों को मिलम से लाया जा सका। 14 भारतीय पर्यटकों का अब तक कोई पता नहीं लग सका है।
कीड़ा जड़ी दोहन को धारचूला मुनस्यारी गए सैकड़ों लोगों की भी प्रशासन ने अभी तक कोई खोज खबर नहीं ली है। इसके अलावा जंगल में फंसे दस हजार से ज्यादा पीड़ित सरकार की तरफ टकटकी लगाए हुए हैं।
चार दिन पूर्व आई आपदा ने धारचूला-मुनस्यारी क्षेत्र में भी कहर ढाया है। यहां हजारों की संख्या में भूखे-प्यासे लोग फंसे हैं। बृहस्पतिवार को आसमान में सेना के हेलीकॉप्टरों की गड़गड़ाहट सुनने के बाद उन्हें राहत की उम्मीद जगी थी, मगर शुक्रवार को नतीजा सिफर ही रहा। ईधन के अभाव में सेना के हेलीकॉप्टर केवल छह अमेरिकी पर्यटकों को निकाल सके। ये लोग गोरी नदी का पुल बह जाने से बुगडियार और मिलम में फंस गए थे।
मुनस्यारी तहसील के मवानी-दवानी क्षेत्र के दो गांवों के लोग आपदा के पांच दिन बाद भी अलग-थलग पड़े हैं। गोरी नदी में लगी गरारी बहने से आवागमन का कोई साधन नहीं बचा है। राशन न होने से यहां 33 परिवार भूखे प्यासे तड़प रहे हैं। डीडीहाट विकास खंड में काली नदी किनारे स्थित अगंलतड़ गांव के लोग भी राहत का इंतजार कर रहे हैं। पिछले छह दिनों से इस गांव का संपर्क भंग है। पहाड़ की तरफ से चट्टान खिसकने और नीचे की तरफ काली नदी द्वारा किए गए कटाव से गांव तक पहुंचना मुश्किल है। मुनस्यारी के रालम ग्लेशियर परिक्षेत्र में 3 हजार मीटर की ऊंचाई पर कई गांवों के 150 ग्रामीण फंसे हुए हैं। इनमें दो दर्जन से अधिक स्कूली बच्चे भी शामिल हैं।
दारमा घाटी के नागलिंग में 65 लोग फंसे हैं। इनमें छह लोग बीमार हैं। बागेश्वर के पिंडर घाटी में फंसे परिवारों को सेना के हेलीकॉप्टर से राहत सामग्री पहुंचाई गई है। जिला प्रशासन ने 121 गांवों के प्रभावित होने, 137 भवन ध्वस्त होने और 45 सड़कें क्षतिग्रस्त होना तो माना है, लेकिन उसके हिसाब से 12 लोगों की मौत हुई है और 19 लापता हैं।

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