Sunday, June 23, 2013

तमाम बुजुर्ग उन्हें आशीर्वाद दे रहे हैं

जान पर खेलकर दूसरों की जान बचाने वाले इंसान कुछ अलग होते है। ऐसे ही हजारों इंसान उत्तराखंड में इन दिनों सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस [आइटीबीपी] की वर्दी पहने मानवता के सिरमौर बने हुए हैं। कंधे पर पीड़ितों को उठाकर, मां-बहनों-बुजुर्गो को गोद में लाकर ये जवान हेलीकॉप्टरों पर चढ़ा रहे हैं और उन्हें सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचा रहे हैं। तमाम बुजुर्ग उन्हें आशीर्वाद दे रहे हैं और तमाम लोग आंसू भरी आंखों से उन्हें शुक्रिया अदा कर रहे हैं। ..शायद यही उनके काम का पारितोषिक है।
जिंदगी में दूसरों के लिए कुछ खास कर पाने का संतोष लेकर ये जवान फिर से अगले मुकाम के लिए रवाना हो जाते हैं और मौसम ठीक रहने व सांझ ढलने तक ज्यादा से ज्यादा आपदाग्रस्त लोगों को बचाने का प्रयास करते हैं। जिन लोगों की ये जान बचाते हैं-कष्ट से निकालते हैं, उनके लिए तो ये देवदूत सरीखे हैं। वे इन देवदूतों को ताजिंदगी नहीं भुला पाएंगे।
 उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदा के बाद राहत एवं बचाव कार्यो के लिए मौसम से मिली मोहलत ज्यादा लंबी नहीं है। मौसम विभाग के मुताबिक अगले सप्ताह की शुरुआत से दोनों ही राज्यों में मानसून की सक्रियता और बढ़ने का अनुमान है। उत्तर भारत के कई सूबों में अगले दो दिनों के भीतर ही मौसम करवट ले सकता है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार 25 जून से उत्तराखंड और हिमाचल में मानसूनी बादलों की सक्रियता में इजाफे के संकेत हैं। हेमकुंड साहब के लिए जारी विशेष पूर्वानुमान में अगले दो दिनों में वर्षा गतिविधि बढ़ने का अनुमान लगाया गया है। केदारनाथ क्षेत्र में भी 23 जून के बाद से बारिश की सक्रियता बढ़ेगी।
गत दिनों हुई भारी बारिश के बाद उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश के अलावा हरियाणा और उत्तर प्रदेश के भी कई इलाकों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है। उत्तराखंड व हिमाचल में इसके कारण जान-माल का काफी नुकसान हुआ है। फौज की मदद से केंद्र व राज्य सरकारें बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत एवं बचाव कार्य चला रही हैं जहां अब भी कई लोग फंसे हैं।
मौसम ने गुरुवार को कुछ राहत दी जिसके कारण राहत अभियान की रफ्तार बढ़ाने में सरकारी एजेंसियों को मदद मिली। लेकिन, यदि मौसम फिर खराब हुआ तो बाढ़ से सर्वाधिक प्रभावित उत्तराखंड में सड़क संपर्क बहाल करने में मुश्किलें आ सकती हैं। उल्लेखनीय है कि इस साल मानूसन में आई अप्रत्याशित तेजी के कारण अचानक उत्तर भारत के कई इलाकों में 15-16 जून को भारी बारिश हुई। वक्त से 15 दिन पहले पहुंचे और जमकर बरसे मानसूनी बादलों ने उत्तराखंड में खूब तबाही मचाई।

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