Saturday, July 30, 2011

मुसलमानों का छल-कपट


मुसलमानों का छल-कपट ,विश्वासघात ,मक्कारी और धोखे की नीति दुनिया भर में कुख्यात है .ऐसे कई उदाहरण मिल जायेंगे कि जिसने भी मुसलमानों की कसमों या उनकी बातों पर विशवास किया ,उसे जरूर किसी संकट का सामना करना पडा .
अक्सर मुसलमान यह बात कहते हैं ,कि हम तो अपने ईमान के पक्के हैं .क्योंकि मुसलमान शब्द का मतलब ही है "मुसल्लम ईमान "यानी पूरा ईमान .लोग गलती से ईमान का तात्पर्य उनकी Honesty सत्यवादिता Truthfullness ,या उनकी आस्था Creed समझ लेते हैं .

लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि ,मुसलमानों के दो गुप्त ईमान policies हैं और भी हैं ,जिनका प्रयोग मुसलमान खुद को बचाने और दूसरों को धोखा देने में करते हैं .मुसलमानों कि इन दो नीतियों Policies या ईमान का नाम है ,तकिय्या और कितमान .इनका विवरण इस प्रकार है -
1 -तकिय्या تقيه Taqiyya

इसका अर्थ है छल Deception ,ढोंग ,ढकोसला Subterrefuge दिखावा ,सत्य को नकारना ,बहाने बनाना आदि हैं

उदाहरण -जब किसी इस्लामी किताब में कोई खराब बात बताई जाती है ,तो मुसलमान कसते है कि ,अनुवाद गलत है ,अमुक शब्द का अर्थ कुछ और है,हम इस फतवे या हदीस को नहीं मानते ,या यह आयत मंसूख (रद्द )हो चुकी है .आदि

2 -कितमान كِتمان Kitaman

इसका अर्थ है आड़ Concealment झूठ Lying मिथ्या आरोप लगाना Fals blamming और Ommission आदि

उदाहरण -जब मुसलमानों की गलतियाँ पकड़ी जाती हैं ,तो वह खुद को निर्दोष साबित करने लिए दूरारों में वही गलतियां बताने लगते है ,और लोगों को गुमराह करने के लिए गालीगालोच करने लगते हैं ,दवाब डालने के लिए हंग्गामा करते हैं ,हिंसा करते है .आदि

हमें मुसलमानों की इन चालबाजियों ,मक्कारियों और कपट से सावधान रहना चाहिए .क्योंकि अल्लाह भी मक्कार है .देखिये-

3 -अल्लाह की मक्कारी से सावधान रहो

"क्या लोग अल्लाह की छुपी हुई चालों (मक्कारी )से बेफिक्र हो गए हैं ,अल्ला की चालों (मक्कारी )से जो लोग बेफिक्र हो जाते है ,वे जरूर घाटे में पड़ जाते हैं सूरा अल आराफ -7 :99

4 -अल्लाह सबसे बड़ा मक्कार है

"अल्ल्लाह लोगोंकी बातों को ताड़ता रहता है ,और गुप्त चालें (मक्कारी )चलता रहता है ,बेशक अल्लाह सबसे बढ़ कर चालें चलने वाला (मक्कार )है "सूरा आले इमरान -3 :54

5 -मुसलमान कपटी हैं -

"जो तुम्हारे दिलों में गुप्त योजनायें हैं ,तुम चाहो तो उन्हें छुपालो ,या चाहो तो प्रकट कर दो ,क्योंकि ज़मीन और आसमान के बीच जो कुछ है उसपर तुम्हारा ही अधिकार है "सूरा -आले इमरान 3 :28

6 -अपने वादे तोड़ दो

"तुम जो कसमे खाते हो तो अल्लाह तुम्हें खायी गयी कसमों को तोड़ने पर नहीं पकड़ेगा "सूरा -बकरा 2 :225

"अल्लाह ने तुमको तुम्हारी खायी गयी कसमों से मुक्त करना जरूरी समझा है ,अब तुम अपनी कसमे तोड़ सकते हो .क्योंकि करता धरता तो अलाह ही है .और अल्लाह बड़ा ज्ञान वाला है "सूरा -अत तहरिम 66 :2

7 -नमाज भी एक ढोंग है -

"और जब वे (मुसलमान )नमाज के लिए खड़े होते हैं ,तो बेमन से कसमसाते हुए दिखाने के लिए खड़े होते हैं ,वे अल्लाह को थोड़े ही याद करते हैं ,वे तो सिर्फ नमाज का दिखावा करते हैं .सूरा -निसा 4 :142

8 -धोखे से क़त्ल करो

"एक ईमान वाले (मुसलमान )ने फिरौन के सामने अपना ईमान छुपाया और फिर खुद को फिरौन का आदमी बताया ,फिर फिरौन के एक आदमी को क़त्ल कर दिया "सूरा -अल मोमिनीन 40 :28

9 -मुसलमान किसी के मित्र नहीं होते

"ईमानवालों को चाहिए कि वे किसी भी बे ईमान वाले (गैर मुस्लिम )को दोस्त या अपना संरक्षक नहीं समझें "सूरा -आले इमरान 3 :28

10 -मुहम्मद का विश्वासघात

इब्ने जरीर ने कहा कि रसूल ने कहा कि युद्ध एक छल है war is deciet हम चल से ही जीतते हैं रसूल ने पाहिले तो लोगों को सुरक्षित जाने की कसम खाई फिर तीस लोगों को धोखे से क़त्ल करावा दिया बुखारी -जिल्द 4 किताब 52 हदीस 269 -270

"जरीर बिन अब्दुला ने कहाकि रसूल ने काब बिन अशरफ नामके एक शायर को घर से मित्रता के लिए बुलवाया .फिर उस्काके इतर को सूँघके बहाने उसको जकड लिया और क़त्ल करवा दिया .बुखारी -जिल्द 5 किताब 59 हदीस 369

"अल्बरा बिन अजीब ने कहा कि रसूल ने अबू रफीक बिन अतीक के पास अपने लोगों को रात में भेजा .उन लोगों ने कहा रसूल बात करना चाहते हैं रफीक घर में सो रहा था .सहाबियों ने उसे जगा कर बहार बुलाया और क़त्ल कर दिया .बुखारी -जिल्द 5 किताब 369

तबरी -इब्ने इशाक -पेज 981 और इब्ने इशाक जिल्द 2 पेज 834 -857

11 -शान्ति की आड़ में आतंक

"उम्मे कुलसुम ने कहा कि रसूल ने कहा कि हमेशा शान्ति और मैत्री की ऎसी बातें करते रहो जो लोगों को अच्छी लगें ,चाहे वे बातें झूठी ही क्यों न हों .शान्ति की झूठी बातें करना गुनाह नहीं ,जायज हैं .बुखारी -जिल्द 3 किताब 49 हदीस 857

"अब्दुल्ला बिन अम्र ने कहा कि रसूल ने अली को समझाया कि ,हुकूमत को कायम रखने ,और ऊंचा मुकाम हासिल करने के लिए ,और दुश्मनों को धोखे में रखने के लिए शान्ति और मित्रता की झूठी बातें करने की इजाजत है .बुखारी -जिल्द 9 किताब 84 हदीस 64 और 65

12 -मुसलमानों के विशासघात के उदाहरण

1 -मुहम्मद गौरी ने 17 बार कुरआन की कसम खाई थी कि भारत पर हमला नहीं करेगा ,लेकिन हमला किया ]

2 -अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तोड़ के राणा रतन सिंह को दोस्ती के बहाने बुलाया फिर क़त्ल कर दिया

3 -औरंगजेब ने शिवाजी को दोस्ती के बहाने आगरा बुलाया फिर धोखे से कैद कर लिया .

4 -औरंगजेब ने कुरआन की कसम खाकर श्री गोविन्द सिघ को आनद पुर से सुरक्षित जाने देने का वादा किया था .फिर हमला किया था

5 -अफजल खान ने दोस्ती के बहाने शिवाजी की ह्त्या का प्रयत्न किया था .

६-मित्रता की बातें कहकर पाकिस्तान ने कारगिल पर हमला किया था .

अगर हम इतिहास से सबक नहीं लेकर मुसलमानों की शांति और दोस्ती की बातोंमे आते रहे तो हमेशा नुकसान उठाते रहेंगे .

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